Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 67
________________ Sin Mahar Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Sher Kailashsagarsen Gymandir पं००-परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्सा लिक्खा जूआ य जवो अट्ठगुणविवड्ढिआ कमसो ॥९९॥से किं तं परमाणू?, २ दुविहे पं० २०-सुहुमे यववहारिए य, तत्थ्णं जे से सुहमे से ठप्पे, तत्थ्णं जे से ववहारिए सेणं अणंताणताणं सुहमपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं ववहारिए परमाणुपोग्गले निष्फज्जइ, सेणं भंते! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा?, हन्ता ओगाहेजा, से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिजेज्ज वा?, नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, से णं भंते! अगणिकायस्स मझमझेणं वीइवएज्जा?, हंता वीइवएज्जा, से णं भंते! तत्थ डझेजा?, नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, से णं भंते! पुक्खरसंवट्टगस्स महामेहस्समझंमज्झेणं वीइवएज्जा?, हंता वीइवएज्जा, सेणं तत्थ उदउल्लेसिआ?, नो इणद्वे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, से णं भंते! गंगाए महाणईए पडिसोयं हवमागच्छेज्जा?,हंता हव्वमागच्छेज्जा, सेणं तत्थ विणिधायभावज्जेजा?, नो इणटे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, से णं भंते! उदगावत्तं वा उदगबिंदुं वा ओगाहेजा?, हंता ओगाहेज्जा, सेणं तत्थ कुत्थेज्जा वा परियावज्जेज्ज वा?, णो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, सत्थेण सुतिक्खेणवि छित्तुं भेत्तुं च जं किर न सक्कातं परमाणुं सिद्धा व्यंति आई पमाणाणं ॥१००॥ अणंताणं ववहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा || उसण्हसण्हियाइ वा सहसण्हियाइ वा उड्ढरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा, अट्ठ उसण्हसण्हियाओ सा एमा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अदु उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू अटु तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अदु रहरेणूओ ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥] पू. सागरजी म. संशोषिता For Private And Personal

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