Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir पमाणजुत्ते भवइ दोणिए पुरिसे माणजुत्ते भवइ अद्धभारं तुल्लमाणे पुरिसे उभ्माणजुत्ते भवइ माणुभ्माणपमाणजुत्ता लक्खणवंजणगुणेहि उववेआ उत्तमकुलप्पसूआ उत्तमपुरिसा मुणेयव्वा ॥६॥ होति पुण अहियपुरिसा अट्ठसयं अंगुलाण उव्विद्ध। छण्णई अहमपुरिसा चउत्तरं मज्झिमिल्ला 3 ॥७॥ हीणा वा अहिया वा जे खलु सरसत्तसारपरिहीणा ते उत्तमपुरिसाणं अवस्स | पेसत्तणमुवेति ॥९८॥ एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पाओ दो पाया विहत्थी दो विहत्थीओ रयणी दो रयणीओ कुच्छी दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे नालिया अक्खे मुसले दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं आयंगुलपमाणेणं किं पओयणं?, २ एएणं आयंगुलेणं जेणंजया मणुस्सा हवंति तेसिंणं तयाणं आयंगुलेणं अगडतलागदहनदीवाविपुक्खरिणीदीहियगुंजालियाओसरासरपंतियाओसरसरपंतियाओ क्लिपंतियाओ आरामुज्जाणकाणणवणवणसंडवणराईओ देउलसभापवाथूभखाइअपरिहाओ पागारअट्टालयचरिअदारगोपुरपासायघरसरणलयणआवणसिंघाडगतिगचउक्चच्चरचउम्मुहमहापहपहसगडरहजाणजुग्गगिलिथिलिसिविअसंदमाणियाओ लोहीलोहकडाहकडिल्लयभंडमत्तोवगरणमाईणि अजकालियाई च जोयणाई मविजंति, से समासओ तिविहे पं० २० सूईअंगुले पयरंगुले घणंगुले, अंगुलायया एगपएसिया सेठी सूइअंगुले, सुई सूईगुणिया पयरंगुले.॥ पयरं सूईए भुणितं धणंगुले, एएसिणं भंते! सूइअंगुलपयरंगुलपणंगुलाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया || वा?, सव्वथोवे सूअंगुले पयरंगुले असंखेजगुणे घणंगुले असंखिज्जगुणे से तं आयंगुली से किं तं उस्सेहंगुले?, २ अणेगविहे ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र] पू. सागरजी म. संशोधिता For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123