Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 64
________________ San Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shet Kalashsagarsur Gyarmandir अलिंदओचारसंसियाणं धण्णाणं धण्णमाणप्पमाणनिवित्तिलक्खणं भवइ, से तं पण्णमाणपमाणे, से किं तं रसमाणप्पमाणे?, २ घण्णमाणप्पमाणाओ उभागविवहिए अम्भितरसिहाजुत्ते रसमाणप्पमाणे विहिजड़, तं०-चसहिआ (चउपलपमाणा) |बत्तीसिआ सोलसिया अभाइया चउभाइआ अद्धमाणी माणी, दो चउसद्वियाओ बत्तीसिया दो बत्तीसियाओ सोलसिया दो सोलसियाओ अटुभाइआ दो अट्ठभाइयाओ चउभाइया दो चउभाइयाओ अद्धमाणी दोअद्धमाणीओमाणी, एएणं रसमाणपमाणेणं किं पओयणं?,एएणंरसमाणेणं वारघडककरककलसिअगागरिदइअकरोडिअकुंडिअसंसियाणं रसाणं रसमाणप्पमाणनिवित्तिलक्खणं भवइ, से तं रसमाणपमाणे, सेतं माणेसे किं तं उम्माणे?,२ जण्णं उम्मिणिजइ, तं०-अद्धकरिसो करिसो अद्धपलं पलं अद्धतुला तुला अद्धभारो भारो, दो अद्धकरिसा करिसो दो करिसा अद्धपलं दो अद्धपलाई पलं पलसइआ तुला दस तुलाओ अद्धभारोवीसं तुलाओ भारो, एएणं उम्भाणपमाणेणं किं पओयणं?, एएणं उम्भाणपमाणेणं पत्ताअगरतगरचोअअकुंकुमखंडगुलमच्छंडियाईणं दव्याणं उभ्माणपमाणनिवित्तिलक्षणं भवइ, से तं उम्माणपमाणे, से किं तं ओमाणे?, २ जण्णं ओमिणिजइ, तं०-हत्थेण वा दंडेण वा धणुक्केण वा जुगेण वा नालिआए वा अक्खेण वा मुसलेण वा 'दंड धणू जुग नालिया य अक्ख मुसलं च चउहत्थी दसनालियं च रज्जु वियाण ओमाणसण्णाए॥९३॥ वत्थुमि हत्थमेज खित्ते दंडं धणुं च पंथंमिा खायं च नालिया। वियाण ओमाणसण्णाए॥९४॥ एएणं अवमाणपमाणेणं किं पओयणं?, एएणं अवमाणपमाणेणं खायचिअकरकचिय॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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