Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shet Kailashsagarsun Gyanmande गेवेजए विसेसिए हेछिमहेट्ठिभगेवेजए हिटिममझिम० हिट्ठिमऽवरिमगेवेज्जए,अविसेसिए मझिमगेविजए विसेसिए मझिमहिटिमगेविजए | मझिममज्झिमगेवेज्जए मज्झिमउवरिमगेवेजए, अविसेसिए उवरिमगेवेजए विसेसिए उवरिभहेट्ठिभगेवेजए उवरिममझिमगेवेजए उवरिमउवरिमगेवेज्जए, एतेसिपि सव्वेसिं अविसेसिअविसेसिअपज्जत्तगापज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए अणुत्तरोववाइए विसेसिए विजयए वेजयंतए जयंतए अपराजियए सव्वट्ठसिद्धए य, एतेसिपि सव्वेसिं अविसेसिअविसेसिअपजत्तगापज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए अजीवदव्वे विसेसिए धम्मत्यिकाए अधम्मत्यिकाए आगासत्थिकाए पोग्गलस्थिकाए अद्धासमए य, अविसेसिए पोग्गलस्थिकाए विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव अणंतपएसिए य, से तं दुनाम।१२२। से किं तंतिनामे?, २ तिविहे पं००-दव्वणामे गुणणामे पजवणामे य, से किं तंदव्वणाम?, २ छव्विहे पं० २०-धम्मस्थिकाए अधम्म० आगास० जीव० पुग्गलस्थिकाए अद्धासमए य, से तं दव्वनामे, से किं तं गुणणामे?, २ पंचविहे पं० २०-वण्णणामे गंध० रस० फास० संठाणणामे,से किं तंवण्णणामे?, २ पंचविहे पं० ०-कालवण्णनामे नील. लोहिअ० हालिह० सुकिल्लवण्णणामे, से तं वण्णनामे, से किं तं गंधनामे?, २ दुविहे पं० २०-सुरभिगंधनामे य दुरभिगंधनामे य, से तं गंधनामे, से किं तं रसनामे ?, २ पंचविहे पं० २०-तित्तरसणामे कडुअ० कसाय० अंबिल० महुररसणामे य, से तं रसणामे, से किं तं फासणाम?, २ अट्ठविहे पं० २०-कक्खडफासणामे मउअ० गरुअ० लहुअ० सीत० उसिण० णिद्ध० लुक्खफासणामे, से तं फासणामे, से ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र। | ३४ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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