Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 43
________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पुढवी० आउ० ते30 वाउ वणस्सइकाईए अविसेसिए पुढवी० विसेसिए सुहुमपुढवी० य बादरपुढवी० य, अविसेसिए सुहमपुढवीकाइए विसेसिए पज्जत्तयसुहमपुढवी० य अपज्जत्तयसुहुमपुढवीकाइए य, अविसेसिए बादरपुढवीकाइए विसेसिए पज्जत्तयबादरपुढवी० य अपज्जत्तबादरपुढवी० य, एवं आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए अविसेसि अविसेसि अपजत्तय अपजत्तयभेदेहिं भाणियव्वा, अविसेसिए बेइंदिए विसेसिए पज्जत्तयबेइंदिए य अपज्जत्तयबेइंदिए य, एवं तेइंदियचउरिदियावि भाणियव्वा, अविसेसिए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए जलयर पंचिंदिय० थलयर पंचिंदि० खहयरपंचिंदि० य, अविसेसिए जलयरपंचिंदि० विसेसिए संमुच्छिमजलयर० य गम्भवक्कंतिय० य, अविसेसिए संमुच्छिमजलयर ० विसेसिए पज्जत्तयसंमुच्छिमजलयर ० य अपज्जत्तयसंमुच्छिमजलयर० य, अविसेसिए गब्भवक्कं तियजलयर० विसेसिए पज्जत्तयगब्भवकंतियजलयर० य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतिय० य, अविसेसिए थलयरपंचि० विसेसिए चउप्पयथलयरपंचिं० य परिसम्पथलयर० य, अविसेसिए चउप्पयथलयरपं० विसेसिए संमुच्छिमचउप्पय० य गम्भवक्कंति अचउप्पय० य, अविसेसिए संमुच्छिमच उप्पयथलयर० विसेसिए पज्जत्तयसंमुच्छिमचउप्पयथ० य अपज्जत्तसंमुच्छिमच० य, अविसेसिए गब्भवकंति अचउप्पय० विसेसिए पज्जत्तयगब्भवकंति अचउप्पय० य अपजत्तयगब्भवक्कंति अचउप्पय० य, अविसेसिए परिसम्पथलयर० विसेसिए उरपरिसम्पथलयर० य भुअपरिसम्मथलयरपंचिंदिअतिरिक्खजोणिए य, एतेऽवि संमुच्छिमा पज्जत्तगा अपजत्तगा य, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३२ For Private And Personal

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