Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साइं सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी दस कोडीओ कोडीसयं दस कोडिसयाई, से तं पुव्वाणुपुव्वी, | से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ दसकोडिसयाई जाव एक्को, से तं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुव्वी ?, २ एयाए चेव एगाइआए एगुत्तरियाए दसकोडिसयगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नम्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, से तं गणणाणुपुव्वी ।११६ । से किं तं संठगणाणुपुव्वी?, २ तिविहा पं० तं०- पुष्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ समचउरंसे निग्गोहमंडले सादी खुजे वामणे हुंडे, से तं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणुपुव्वी ?, २ हुंडे जाव समचउरंसे, से तं पच्छाणुपुवी, से किं तं अणाणुपुव्वी?, २ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, से तं संठगणाणुपुव्वी, १११७) से किं तं सामायारी आणुपुव्वी?, २ तिविहा पं० तं० पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ?, २ इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया । आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा ॥१६ ॥ उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा 3, से तं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणुपुव्वी?, २ उवसंपया जाव इच्छागारो, से तं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुव्वी?, २ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नम्भासो दुरुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, से तं सामायारी आणुपुव्वी । ११८ । से किं तं भावाणुपुव्वी ? २ तिविहा पं० तं०-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ उदइए उवसमिए खाइए खओवसमिए पारिणामिए संनिवाइए से तं पुव्वाणुपुव्वी, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ३० For Private And Personal

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