Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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दोसमया, नाणादव्वाइंपडुच्चसव्वद्धा,णेगमववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाणमंतरं कालओ केवच्चिर होइ?,एगंदब्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं दो समया, नाणादव्वाई पडुच्च नत्थि अंतरं, णेगमववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाणमंतरं कालओ केवच्चिर होई? एगं दव्यं पडुच्च् जहण्णेणं दो समया उक्कोसेणं असंखेनं कालं, णाणादव्वाई पडुच्च णस्थि अंतरं, णेगमववहाराणं अवतव्वगदव्वाणं पुच्छा, एग दव्यं पडुच्छ जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज कालं, णाणादव्वाई पडुच्च् णथि अंतरं, भाग भाव अभ्याबहुं चेव जहा खेत्ताणुपुवीए तहा भाणियव्वाइं, जाव से तं अणुगमे, से तं गमववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ११११ से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी? २ पंचविहा पं००-अटुपयपरूवणया भंगसमुक्कित्तणया भंगोवदंसणया समोयारे अणुगमे ११२॥ से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया?, २ एयाई पंचवि दाराई जहा खेत्ताणुपुव्वीए संगहस्स तहा कालाणुपुवीएवि भाणियव्वाणि, णवरं ठिइअभिलावो जाव से तं अणुगमे, से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ११३१से किं तं उवणिहिया कालाणुपुव्वी? २ तिविहा पं००-पुव्वाणु० पच्छाणु० अणाणु०,से किं तं पुव्वाणु०?, २ एगसमयठिइए दुसमयठिइए तिसमयठिइए जाव दससमयठिइए संखिज्जसमयठिइए असंखिज्जसमयठिइए, सेतं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणुपुवी?, २ असंखिज्जसमयटिइए जाव एगसमयटिइए, से तं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुवी? २ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए असंखिजगच्छायाए सेढीए अनमत्रभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, अहवा उवणिहिया ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र]
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पू. सागरजी म. संशोधित
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