Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsur Gyanmandir २ दुविहा पं० २० उवणिहिया य अणोवणिहिया य१०॥ तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्या, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पं० २०-णेगमववहाराणं संगहस्सय १०५१ से किं तं गमववहाराणं अणोवहिया कालाणु०?, २ पंचविहा पं० तं०-अट्ठपयपरूवणता भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोआरे अणुगमे १०६से किं तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया?, २ तिसमयटिइए आणु० जाव दससमयहिइए आणु० संखिज्जसमयट्ठिइए आणु० असंखिज्जसमयट्टिइए आणु० एगसमयट्टिइए अणाणु० दुसमयटिइए अवतव्वए, तिसमयठिइयाओ आणुपुव्वीओ एगसमयट्ठिइयाओ अणाणुपुव्वीओ दुसमयट्टिइओ अवत्तव्वगाई, से तं गमववहाराणं अट्ठपयपवणया, एयाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं? एयाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगमववहाराणं भंगसमुचित्तणया कज्जइ ११०७)से किं तंणेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया? २ अस्थि आणु० अस्थि अणाणु० अस्थि अवत्तव्वए, एवं दव्वाणुपुव्वीगमेणं कालाणुपुवीएवि ते चेव छव्वीसं भंगा भाणिअव्वा जाव से तं णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया, एयाए णं एगमववहाराणं भंगसमुक्लित्तणयाए किं पओयणं?, एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कजई।१०८ से किं तं गमववहाराणं भंगोवदसणया? २ तिसमयटिइए आणु० एगसमयहिइए अणाणु० दुसमयटिइए अवत्तव्वए, तिसमयट्ठिइआ आणुपुव्वीओ एगसमयट्ठिइआ अणाणुपुव्वीओ दुसमयटिइआ अवतव्वगाई, अहवा तिसमयट्ठिइए य एगसमयट्ठिइए य आणु० अणाणु० य एवं तहा चेव ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123