Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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किं तं संठाणनामे?, २ पंचविहे पं० २०-परिमंडल० वट्ट० स० स० आयतसंठाणामे, से तं संठाणनामे, से तं गुणणामे। से किं तं प्रज्जवणाम?,२ अणेगविहे पंतं०-एगगुणकालए दुगुण तिगुण जाव दसगुण संखिजगुण असंखिजगुण० अणंतगुणकालए, एवं नीललोहियहालिद्दसुकिलाविभागियव्वा, एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे तिगुण जाव अणंतगुणसुरभिगंधे, एवं दुरभिगंधोऽविभाणियव्वो, एगगुणतित्ते जाव अणंतगुणतित्ते, एवं कडुयकसायअंबिलमहरावि भाणियव्वा, एगगुणकक्खडे जाव अणंतगुणकक्खडे, एवं मउअगरुअलहुअसीतउसिणणिद्धलुक्खावि भा०, से तं प्रज्जवणामे। तं पुण णामं तिविहं इत्थी पुरिसंणपुंसगं चेवाएएसिं तिण्हंपिय अंतमि परूवणं वोच्छं॥१८॥ तत्थ पुरिसस्स अंता आईऊओ हवंति चत्तारिशते चेव इत्थियाओ | हवंति ओकारपरिहीणा॥९॥ अंतिअइंतिअतिअअंता 3 णपुंसगस्स बोद्धव्वा। एतेसिं तिण्हंपिय वोच्छामि निदंसणे एत्तो॥२०॥ आगारंतो राया ईगारंतो गिरी य सिहरी योजगारंतो विण्हू दुमो य अंता 3 पुरिसाणं॥१॥ आगारंता माला ईगारंता सिरी य लच्छी यो ऊगारंता जंबू वहू य अंता 3 इत्थीण॥२॥ अंकारतं धनं इंकारंतं नपुंसगं अच्छिी उंकारंतो पीलुं महं च अंतो णपुंसाणं॥२३॥ से तं तिणाम।१२३। से किं तं चउणाम?, २ चविहे पं० २०-आगमेणं लोवेणं पयईए विगारेणं, से किं तं आगमेणं?, २ पद्यानि पयांसि कुण्डानि, से तं आगमेणं, से किं तं लोवेणं? २ ते अत्र तेऽत्र पटो अत्र पटोत्र कटो अत्र कटोऽत्र, से तं लोवेणं, से किं तं पगईए?, २ अग्नी एतौ पटू इमौ शाले एते माले इमे, से तं पगईए, से किं तं विगारेणं?, २ दण्डस्य अग्रं दण्डाग्रं ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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