Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 48
________________ San Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shet Kailashsagasan Gyarmandir उवसंतपेजे उवसंतदोसे उवसंतदसणमोहणिजे उवसंतमोहणिजे उक्समिया सभ्मत्तलद्धी उक्समिया चरित्तलद्धी उवसंतकसायछउभत्थवीयरागे, से तं उसमनिष्फण्णे, से तं उवसभिए, से किं खइए?, २ दुविहे पं० २०-खइए य खयनिष्फण्णे य, से किं तं खइए?, २ अट्ठण्हं कम्मपयडीणं खए, से तं खइए, से किं तं खयनिष्फण्णे?, २ अणेगविहे पं० तं० उपण्णणाणदंसणधरे अहा जिणे केवली खीणआभिणिबोहिअणाणावरणे खीणसुअ० खीणओहि० खीणमणपज्जव० खीणकेवलणाणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणाणाणावरणिजम्मविष्यमुक्के केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिद्दे खीणनिहानिद्दे खीणपयले खीणपयलापयले खीणथीणगिद्धी खीणचक्खुदंसणावरणे खीणअचक्षु० खीणओहि० खीणकेवलदसणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिज्जकम्मविष्यमुक्के खीणायावेअणिज्जे खीणअसायावेयणिजे अवेअणे निव्वेअणे खीणवेअणे सुभासुभवेअणिजम्भविष्यमुक्के खीणकोहे जाव खीणलोहे खीणजे खीणदोसे खीणदंसणमोहणिजे खीणचरितमोहणिजे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिजम्भविष्यभुक्के खीणणेइआउए खीणतिरिक्खजोणिआउए खीणमणुस्साउए खीणदेवाउए अणाउए निराउए खीणाउए आउकम्मविष्पमुक्के गइजाइसरीरंगोवंगबंधणसंधायणसंधयणसंठाणअणेगबोदिविंदसंघायविष्यमुक्के खीणसुभनामे खीणअसुभणामे अणामे निण्णामे खीणनामे सुभासुभणामकम्भविष्यमुक्के खीणउच्चागोए खीणणीआगोए अगोए निग्गोए खीणगोए उच्च्णीयगोत्तकम्मविष्यमुक्के खीणदाणंतराए खीणलाभ० खीणभोग० खीणउवभोग० ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रा | ३७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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