Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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उदइएत्ति माणुस्से उवसंता कसाया खड्अं सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे जाव पारिणामिअनिष्फण्णे, से तं सनिवाइए, से तं छण्णामे१२६॥से किं तं सत्तनामे?, २ सत्तसरा पं०२०-सजे रिसहे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे। (२)वए चेव नेसाए, सरासत वियाहिआ॥२५॥ एएसिंणं सत्तण्हं सराणं सत्त सवाणा पं०२०-सजं च अग्गजीहाए, उरेण रिसहं सरं। कंठुग्गएण गंधारं, मझजीहाए मज्झिमी ॥ नासाए पंचमं बूआ, दंतोटेण य रेवती भमुहक्खेवेण णेसाहं, साणा वियाहिआ॥७॥ सत्त सरा जीवणिस्सिया पं०२०-सजं रखइ मऊरो, कुक्कुडो रिसभं सरं। हंसो रवइ गंधार, मझिम
च गवेलगा॥८॥अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमंस छटुंच सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमंगओ॥९॥सत्त सराअजीवनिस्सिया | पं० २०-सज रवइ मुअंगो, गोमुही रिसहं सरी संखो रवइ गंधारं, मझिमं पुण झालरी॥३०॥ चउसरणपट्टाणा, गोहिया पंचम स। आडंबरो रेवइयं, महाभेरी य सत्तम॥१॥ एएसिंणं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पं० २०-सजेण लहई वित्ति, क्यं । चनविणस्सइ गावो पुत्ताय मित्ताय, नारीणं होइ वलहो॥२॥रिसहेण एसज( पेसज),सेणावच्चंधणाणियोवत्थगंधमलंकारं, | इथिओ सयणाणि य॥३॥ गंधारे गीतजुत्तिण्णा, वजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणो पण्णा, जे अण्णे सत्थपारगा॥४॥ मज्झिमसरमता 3, हवंति सुहजीविणो। खायई पियई देई, मज्झिमस्सरमस्सिओ॥५॥ पंचमसरमंता 3, हवंति पुहवीवई। सूरा संगहतारो, अणेगगणनायगा॥६॥रेवयसरमंता 3, हवंति दुहजीविणो कुचेला य कुवित्तीय, चोरा चंडाल मुट्ठिया(साउणिया ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र ॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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