Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 59
________________ She M ar Jain Aradhana Kendra mmm.kobatimorg Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir पाहण्णयाए, से किं तं अणाइयसिद्धतेणं?, धम्मस्थिकाए अधम० आगास० जीव० पुग्गलस्थिकाए अद्धासमए, से अणाइयसिद्धतेणं, से किं तं नामेणं?, २ पिपिआमहस्स नामेणं उतामिज्जइ, से तंणामेणं, से किं तं अवयवेणं?, २ सिंगी सिही विसाणी दाढी पक्खी खुरी नही वाली। दुष्पयचउपयबहपया नंगुली केसरी कउही ॥७३॥ परिअरबंधेण भडं जाणिज्जा महिलियं निवसणेणी सित्थेण दोणवायं कविं च इक्काए गाहाए॥७४॥ से तं अवयवेणं, से किं तं संजोएणं?, संजोगे चविहे पं० २०-दव्वसंजोगे खेत्त० काल० भावसंजोगे, से किं तं दव्वसंजोगे?, २ तिविहे पं० २०-सचित्ते अचित्ते मीसए, से किं तं सचित्ते?, २ गोहिं गोमिए महिसीहिं माहिसए ऊरणीहिं ऊरणीए उट्टीहिं उट्टीवाले, से तं सचित्ते, से किं तं अचित्ते?, २ छत्तेण छत्ती दंडेण दंडी पडेण पडी घडेण घडी कडेण कडी, सेतं अचित्ते, से किं तं मीसए?, २ हलेणं हालिए सगडेणं सागडिए रहेणं रहिए नावाए नाविए, सेतं मीसए, सेतं दव्यसंजोगे, से किं तं खित्त संजोगे?,२ भारहे एरवए हेमवए एरण्णवए हरिवासए रम्भगवासए देवकुरुए उत्तरकुरुए पुव्वविदेहए अवरविदेहए अहवा मागहे मालवए सोटुए मरहट्ठए कुंकणए, से तं खेत्तसंजोगे, से किं तं कालसंजोगे?, २ सुस्मसुसमाए सुसमाए सुसमदूसमाए दूसभसुसमाए दूसमाए दूसमदूसमाए, अहवा पावसए वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंतए गिम्हए, से तं कालसंजोगे, से किं तं भावसंजोगे?, २ दुविहे पं० २०-पसत्थे य अपसत्थे य, से किं तं पसत्थे?, २ नाणेणं नाणी दंसणेणं दंसणी चरित्तेणं चरित्ती, से तं पसत्थे, से किं तं अपसत्थे?, २ कोहेणं कोही माणेणं ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र | ४८] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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