Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
वाउरिया, सोयरिया मच्छबंधा य पा० ) ॥७॥ णिसायसरमंता उ, होंति कलहकारगा। जंधाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा ॥८ ॥ एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पं० तं० - सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं० तं०- मग्गी कोरविया हरिया, रयणी य सारकंता या छुट्टी य सारसी नाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥९॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ | पं० तं० - ' उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। समोक्कंता य सोवीरा, अभिरूवा होइ सत्तमा ॥४०॥ गंधार गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ | पं० नं० - नंदी य खुड्डिया पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधाराविय सा पंचमिया हवइ मुच्छा ॥१॥ सुठुत्तरमायामा सा छट्ठी सव्वओ य णायव्वा । अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमा मुच्छा ॥२॥ सत्त सरा कओ हवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी ? | कइसमया ओसासा ?, कइ वा गीयस्स आगारा? ॥३ ॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति गीयं च रुइयजोणी उ । पायसमा ऊसासा तिण्णि य गीयरस आगारा॥ ॥४॥ आइ मउ आरभंता समुव्वहन्ता य मझयारंमि । अवसाणे उज्झता तिन्निवि गीयस्स आगारा ॥ ५ ॥ छद्दो से अट्टगुणे तिण्णि य वित्ताइं दो य भणिईओ। जो नाही सो गाहिइ, सुसिक्खिओ रंगमज्झमि ॥६॥ भीयं दुयं उपिच्छं उत्तालं च कमसो मुणे अव्वंी कागस्सर मणुणासं छद्दोसा होंति गेयस्स ॥७॥ पुण्णं रत्तं च अलंकियं य वत्तं च तहेवमविधुद्धं । महरं समं सुललियं अट्ठ गुणा होति गेयस्स ॥८ ॥ उरकंठसिरविसुद्धं च गिज्जंते मउअरिभिअपदबद्ध । समतालपदुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं ॥ ९ ॥ अक्खरसमं पदसमं तालसमं लयसमं च गेहसमी नीससिओससियसम्, संचारसमं सरा सत्त ॥५०॥ निद्दोसं सारमंतं च, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
**
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123