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वाउरिया, सोयरिया मच्छबंधा य पा० ) ॥७॥ णिसायसरमंता उ, होंति कलहकारगा। जंधाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा ॥८ ॥ एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पं० तं० - सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं० तं०- मग्गी कोरविया हरिया, रयणी य सारकंता या छुट्टी य सारसी नाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥९॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ | पं० तं० - ' उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। समोक्कंता य सोवीरा, अभिरूवा होइ सत्तमा ॥४०॥ गंधार गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ | पं० नं० - नंदी य खुड्डिया पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधाराविय सा पंचमिया हवइ मुच्छा ॥१॥ सुठुत्तरमायामा सा छट्ठी सव्वओ य णायव्वा । अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमा मुच्छा ॥२॥ सत्त सरा कओ हवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी ? | कइसमया ओसासा ?, कइ वा गीयस्स आगारा? ॥३ ॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति गीयं च रुइयजोणी उ । पायसमा ऊसासा तिण्णि य गीयरस आगारा॥ ॥४॥ आइ मउ आरभंता समुव्वहन्ता य मझयारंमि । अवसाणे उज्झता तिन्निवि गीयस्स आगारा ॥ ५ ॥ छद्दो से अट्टगुणे तिण्णि य वित्ताइं दो य भणिईओ। जो नाही सो गाहिइ, सुसिक्खिओ रंगमज्झमि ॥६॥ भीयं दुयं उपिच्छं उत्तालं च कमसो मुणे अव्वंी कागस्सर मणुणासं छद्दोसा होंति गेयस्स ॥७॥ पुण्णं रत्तं च अलंकियं य वत्तं च तहेवमविधुद्धं । महरं समं सुललियं अट्ठ गुणा होति गेयस्स ॥८ ॥ उरकंठसिरविसुद्धं च गिज्जंते मउअरिभिअपदबद्ध । समतालपदुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं ॥ ९ ॥ अक्खरसमं पदसमं तालसमं लयसमं च गेहसमी नीससिओससियसम्, संचारसमं सरा सत्त ॥५०॥ निद्दोसं सारमंतं च, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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