Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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गब्भवक्कतिआवि पजत्तगा अपजत्तगा य भाणिअव्वा, अविसेसिए खहयरपंचिंदिय० विसेसिए संमुच्छिमखह यर पंचिंदि० य गब्भवक्कति अखहयर० य, अविसेसिए संमुच्छिमखहयरपंचिं० विसेसिए पज्जत्तयसंमुच्छिमखहयर० य अपजनसंमुच्छिमखह यर० य अविसेसिए गब्भवनंति अखहयरपंचिं० विसेसिए पज्जत्तयगम्भवक्कंति अखहयर० य अपज्जत्तयगब्भवकंति अखहयर० य, अविसेसिए मणुस्से विसेसिए संमुच्छिममणुस्से गब्भवनंति अमणुस्से य, अविसेसिए गब्भवक्कंतियमणुस्से विसेसिए कम्मभूमओ य अकम्मभूमओ य अंतरदीवओ य, संखिज्जवासाज्य असंखिजवासाज्यपज्जत्तापज्जत्तओ, अविसेसिए देवे विसेसिए भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए य, अविसेसिए भवणवासी विसेसिए असुरकुमारे नाग० सुवण्ण० विज्जु० अग्गि० दीव० उदधि दिसा० वा० थणिअकुमारे, सव्वेसिंपि अविसेसि अविसेसि अपज्जत्तगअपज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए वाणमंतरे विसेसिए पिसाए भूए जक्खे रक्खसे किण्णरे किंपुरिसे महोरगे गंधव्वे, एतेसिंपि अविसेसिअविसेसियपज्जत्तय अपजत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए जोइसिए विसेसिए चंदे सूरे गृहगणे नक्खत्ते तारारूवे, एतेसिंपि अविसेसियविसेसियपज्जत्तय अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा, अविसेसिए वेमाणिए विसेसिए कप्पोवगे य कप्पातीतगे य, अविसेसिए कप्पोवगे विसेसिए सोहम्मए ईसाणए सणकुमारए माहिंदए बंभलोयए लंतयए महासुक्कए सहस्सारए आणयए पाणयए आरणए अच्चुयए, एतेसिंपि अविसे सिअविसेसियपज्जत्तगअपज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए कप्पातीतए विसेसिए गेवेज्जए य अणुत्तरोववाइए य, अविसेसिए ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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