Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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कालाणुपुव्वी तिविहा पं० २०- पुव्वाणुपुष्वी पच्छाणुपुष्वी अणाणुपुब्बी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ समए आवलिया आणपाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुवे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अच्छिनिऊरंगे अच्छिनिअरे अउअंगे अउए नउअंगे नए पउअंगे पडए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी | पोग्गलपरियट्टे अतीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा, से तं पुव्वाणुपुवी, से किं तं पच्छाणु०?, २ सव्वद्धा अणागतद्धा जाव समए, सेतं पच्छाणु०,२ से किं तंअणाणु०?,२ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए अणंतगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, से तं उवणिहिया कालाणुपुव्वी, से तं कालाणुपुव्वी ११४। से किं उक्लित्तणाणुपुवी?, २ तिविही पं० तं०-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुब्बी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी? २ उसमे अजिए संभवे अभिणंदणे सुमती पउमप्पहे सुपासे चंदप्महे सुविही सीतले सेजसे वासुपूज्जे विमले अणंते धमे संती कुंथू अरे मल्ली मुणिसुव्वए णमी अरिष्टुणेमी पासे वद्धमाणे, से तं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणुपुव्वी?, २ वद्धमाणे जाव उसभे, से तं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुव्वी? २ एआए चेव एगाइआए एगुत्तरियाए चउवीसगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, से तं उक्लित्तणाणुपुव्वी ११५ से किं तं गणणाणुपुव्वी? २ तिविहा पं० २०-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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