Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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से किं तं सभोयारे?, २ संगहस्स आणुपुचीदव्वाइं कहिं सभोयरंति?, किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति अणाणुपुव्वीदव्वेहिं अवतव्वगदव्वेहिं?, तिण्णिवि सट्टाणे समोयरंति, से तं समोयारे से किं तं अणुगमे?, २ अट्ठविहे पं० तं०-संतपयपरुवणया जाव अप्पाबहुं नत्थि॥११॥ संगहस्स आणुपुत्वीदव्वाई किं अस्थि णत्थि?, नियमा अस्थि, एवं तिण्णिवि, सेसगदाराई जहा दव्वाणुपुव्वीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुव्वीएवि भाणियव्वाइं जाव से तं अणुगमे, से तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी, से तं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी १०२।से किं तं उवणिहिआ खेत्ताणुपुवी?, २ तिविहा पं० २०-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ अहोलोए तिरिअलोए उड्ढलोए, से तं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणपुव्वी?, २ उड्ढलोए तिरिअलोए अहोलोए, सेतं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुव्वी?, २ एआए चेव एगाइआए एगुत्तरिआए तिगच्छगयाए सेढीए अनमनब्भासो दुरुवूणो, से तं अणाणुपुव्वी, अहोलोअखेत्ताणुपुव्वी तिविहा पं० २०-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी? २ रयणप्यभा सकरप्यभा वालुअप्पमा पंकप्पभा धूमप्पभा तमप्पभा तमतमप्यभा, सेतं पुव्वाणुपुव्वी, से किं तं पच्छाणुपुव्वी? २ तमतमप्यभा जाव रयणप्यभा, सेतं पच्छाणुपुव्वी, से किं तं अणाणुपुव्वी?, २ एआए चेव एगाइआए एमुत्तरियाए सत्तगच्छगयाए सेढीए अन्नमत्रब्भासो दुरुवणो, से तं अणाणुपुव्वी, तिरिअलोअखेत्ताणुपुव्वी तिविहा पं० तं० पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी, से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?, २ जंबुद्दीवे लवणे घायइ कालोय पुक्खरे वरुणे। ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥
| २४
|पू. सागरजी म. संशोधित
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