Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsur Gyanmandir सव्वत्थोवाइं गमववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाई दवट्ठयाए अणाणुपुब्बीदव्वाई दव्वट्ठयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई अवत्तव्वगदव्वाइं पएसट्टयाए विसेसाहियाई आणुपुव्वीदव्वाई दवट्ठयाए असंखेजगुणाई ताई चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणाई, से तं अणुगमे से तं गमववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी १०११ से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी?, २ पंचविहा पं० २०अट्ठपयपरूवणया भंगसमुचित्तणया भंगोवदंसणया समोयारे अणुगमे, से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया?, तिपएसोगाढे आणुपुत्वी चउप्पएसोगाढे आणुपुव्वी जावदसपएसोगाढे आणुपुवी संखिजपएसोगाढे आणुपुव्वी असंखिज्जपएसोगाढे आणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरुवणया, एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं?, संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कीरइ, से किं तं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणया?, २ अस्थि आणुपुव्वी अस्थि अणाणु० अस्थि अवत्तवए, अहवा अत्थि आणु० य अणाणु० य एवं जहा | दव्वाणुपुवीए संगहस्स तहा भाणियव्वं जाव से तं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणया। एयाए णं संगहस्स भंगसमुचित्तणयाए किं पओयणं?, एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्क्त्तिणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कञ्जइ, से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया?, २ तिपएसोगाढे आणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुवी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए अहवा तिपएसोगाढे २ एगपएसोगाढे य आणुपुवी य अणाणुपुव्वी य एवं जहा दव्वाणुपुन्चीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुव्वीएवि भाणियव्वं जाव से तं संगहस्स भंगोवदंसणया। ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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