Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir भंगोवदंसणया?, २ तिपएसोगाढे आणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपव्वी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए तिपएसोगाढा आणुपुव्वीओ एगपएसोगाढा अणाणुपुव्वीओ दुपएसोगाढा अवत्तव्वगाई अहवा तिपएसोगाढे य एगपएसोगाढे य आणुपुव्वी य अणाणुपुवी य एवं तहा चेव दव्वाणुपुव्वीगमेणं छव्वीसं भंगा भाणिअव्वा जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया। से किं तं समोयारे?, २ णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई कहिं समोयरंति किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोअति अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोअरंति अवत्तव्वगदव्वेहि समयरंति?, आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति नो अणाणुपुव्वीदव्वेहिं नो अवत्तव्वयदव्वेहिं, एवं तिण्णिवि सहाणे समोयरंतित्ति भाणिअव्वं, से तं समोयारे। से किं तं अणुगमे?, २ नवविहे पं० २०-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबहुं चेव॥१०॥णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि?, णियमा अस्थि, एवं दुण्णिवि, गमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं संखिज्जाइं असंखिज्जाइं अणंताई?, नो संखिज्जाइंनो असंखिजाइं अणंताई, एवं दुण्णिवि, णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखिज्जइभागे होज्जा असंखिज्जइभागे होजा जाव सव्वलोए होज्जा?, एगं दव्यं पडुच्च लोगस्स संखिजइभागे वा होज्जा असंखिजइभागे वा होज्जा संखेजेसु० असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा देसूणे वा लोए होना, नाणादव्वाई पडुच्च नियमा सव्वलोए होजा, गमववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाणं पुच्छाए एगं दव्वं पडुच्च नो संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होजा नो संखेजेसु नो असंखेजेसु नो सव्वलोए होजा, नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होजा, एवं ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र पू. सागरजी म. संशोधित | For Private And Personal

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