Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir दव्वखंधे?, २ अणेगविहे पं० तं० - हयखंधे गय० किन्नर० किंपुरिस० महोरग० गंधव्व० उसभखंधे, से तं सचित्ते दव्वखंधे ॥४७॥ से किं तं अचित्ते दव्वखंधे?, अणेगविहे पं० तं०-दुपएसिए जाव दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अनंतपएसिए, से तं अचित्ते दव्वखंधे ।४८ । से किं तं मीसए दव्वखंधे?, २ अणेगविहे पं० तं०- सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे, से तं मीसए दव्वखंधे । ४९ । अहवा जाणयसरीर भविअसरीरवइरित्ते दव्वखंधे तिविहे पं० तं० - कसिणखंधे अकसिणखंधे अणेगदवियखंधे। ५० । से किं तं कसिणखंधे?, २ से चेव हयखंधे गयखंधे जाव उसभखंधे, से तं कसिणखंधे । ५१ । से किं तं अकसिणखंधे?, २ से चैव दुपएसियाइखंधे जाव अनंतपएसिए खंधे, से तं अकसिणखंधे। ५२ । से किं तं अणेगदवियखंधे?, २ तस्स चेव देसे अवचिए तस्स चेव देसे उवचिए, से तं अणेगदवियखंधे, से तं जाणयसरीर भवियसरीरखइरिते दव्वखंधे, से तं नोआगमओ दव्वखंधे, से तं दव्वखंधे। ५३ । से किं तं भावखंधे?, २ दुविहे पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ | २।५४। से किं तं आगमओ भावखंदे ?, २ जाणए उवउत्ते, से तं आगमओ भावखंदे ॥ ५५ ॥ से किं तं नोआगमओ भावखंधे?, २ एएसिं चेव सामाइयमाइयाणं छण्हं अज्झयणाणं समुदयसमिइसमागमेणं आवस्सयसुयखंधे भावखंधेत्ति लब्भइ, से तं नोआगमओ भावखंधे, से तं भावखंधे। ५६ । तस्स णं इमे एगट्टिया णाणाघोसा णाणवंजणा नामधेज्जा भवंति, तं०-गण काए य निकाए खंधे वग्गे तहेव रासी या पुंजे पिंडे निगरे संघाए आउल समूहे ॥५ ॥ से तं खंधे। ५७ । आवस्सगस्स णं इमे अत्याहिगारा भवंति, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ८ For Private And Personal

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