Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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कण्णखंधवद्धणं च चउप्पयाणं सिक्खागुणविसेसकरणं एवं अपयाणं रक्खा वद्धणं च अंबाइफलाणं च कोदवपलालाइसु सुपयाणं वत्थुविणासे पुरिसादीणं खग्गादीहिं विणासकरणं अचित्ताणं गुडादीणं जलणसंजोएण महरतरगुडविसेसकरणं विणासो यखरादीहिं, मीसदव्वाणं ठासगाइविभूसिआणं आसादीणं सिक्खागुणविसेसकरणं पा०) से तं नोआगमओ दव्वोवक्षम, से तं दव्वोवकम६६।से किं तं खेत्तोवक्कमे?, जाणं हलकुलिआईहिं खेत्ताई उवक्कमिजति (खेत्तस्स हलकुलिआदीहिं जोग्गयाकरणं विणासकरणं गयबंधणादीहिं पा०) से खेतोवक्षम६७१ से किं तं कालोवक्षमे?, जंणं नालिआईहिं कालस्सोवक्कमणं (कालपरिमणोवलक्खणं पा०) कीरइ, सेतं कालोवकमे६८से किं तं भावोवक्कमे?, २ दुविहे पं० २०-आगमओय नोआगमओ य, आगमओ जाणए उवउत्ते, नोआगमओ दुविहे पं० तं०-पसत्थे य अपसत्थे य, तत्थ अपसत्थे डोडिणिगणियाअमच्चाईणं, पसत्थे गुरुमाईणं, सेतं नोआगमओ भावोवक्कमे, सेतं भावोवक्कम, से तं उवक्कमे ६९अहवा उवक्कमे छव्विहे पं० २०-आणुपुव्वी नाम पमाणं वत्तव्वया अस्थाहिगारे समोआरे७०१से कि तं आणुपुची? दसविहा पं० २० नामाणुपुव्वी ठवणा० दव्वा० खेत्ता० काला० उकित्तणा० गणणा० संठाणा० सामायारी० भावाणपुव्वी ७१। नामठवणाओ गयाओ, से किं तं दव्वा०?, दुविहा पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ य, से किं आगमओ दव्वा०?, २ जस्सणं आणुपुवित्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं भियं परिजियं जाव नो अणुष्पहाए, कम्हा?, अणुवओगो दव्वमितिकटु, णेगमस्सणं एगो अणुवउत्तो आगमओ एगा दव्वा० जाव कम्हा?, ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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