Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 18
________________ Shn Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyarmandir भावसुयं?, २ जं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छादिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं, तं०-भारहं रामायणं भीमासुरुवं कोडिल्लयं घोडयमुहं सगडहिआउ प्यासियंणागसुहुमंकणगसत्तरी वेसियं वइसेसियं बुद्धसासणंकाविलं लोगायतंसट्ठियंतंभाढरपुराणवागरणनाडगाइ अहवा बावत्तरि कलाओ चत्तारि वेया संगोवंगा, सेतं लोइयं नोआगमतो भावसुयो४१से किं तं लोउत्तरियं नोआगमतो भावसुयं?, २ जं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्णणाणदंसणधरेहिं तीयपच्चुप्पण्णमणागयजाणएहिं सव्वण्णूहिं सव्वदरिसीहिं तिलुकवहियमहितपूइएहिं अपडिहयवरणाणदंसणधरेहिं पणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं, तं०आयारो सूअगडो ठाणं समवाओ विवाहपण्णत्ती नायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ पाहावागरणाई विवागसुयं दिट्ठीवाओ य, से तं लोउत्तरियं नोआगमतो भावसुयं, से तं नोआगमतो भावसुयं, से तं भावसुयी४२॥ तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणवंजणा नामधेजा भवंति, तं०-सुअ सुत्त गंथ सिद्धंत सासणे आण व्यण उवएसे। पत्रवण आगमेऽविय एगट्ठा पजवा | सुत्ते॥४॥ से तं सुयी४३ से किं तं खंधे?, २ चविहे पं० २०-नामखंधे ठवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे।४४ नामढवणाओ पुवभणिआणुक्कमेण भाणिअव्वाओ (गयाओ४५ से किं तं दव्वखंधे?, २ दुविहे पं० २०-आगमतो य नोआगमतो य, से किं तं आगमओ दव्वखंधे?, २ जस्स णं खंधेत्ति पयं सिक्खियं सेसं जहा दव्वावस्सए तहा भाणिअव्वं, नवर खंधाभिलावो जाव से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ते दव्वखंधे?, २ तिविहे पं० तं०-सच्चित्ते अचित्ते मीसए।४६) से किं तं सचित्ते ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र ।। पू. सागरजी म. संशोधिता For Private And Personal

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