Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जाणयसरीर भविअसरीरवतिरित्तं दव्वावस्सयं?, २ तिविहं पं० तं० लोइयं कुप्पावयणियं लोउत्तरियं ।१८। से किं तं लोइयं | दव्वावस्सयं ? २ जे इमे राइसरतलवरमाडंबियको डुबि अइब्भसेट्ठिसेणावइसत्थवाहम्पभितिओ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए सुविमलाए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मीलिअंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगपगासकिंसुअसुअमुह गुंजद्धरागसरिसे कमला गरनलिणिसंडबोहए उट्ठियंमि | सूरे सहस्सर स्सिमि दिणयरे तेयसा जलते मुहधोयणदंतपक्खालणतेल्लफणिह सिद्धत्थयह रियालिय अद्यागधूवपुष्पमल्ल गंधतंबोलवत्थाइयाई दव्वावस्सयाई करेंति, ततो पच्छा रायकुलं वा देवकुलं वा आरामं वा उज्जाणं वा सभं वा पवं वा गच्छंति, सेतं लोइयं दव्वावस्सयं ।१९। से किं तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं?, २ जे इमे चरगचीरिगचम्मखंडियभिक्खोंडपंडुरंगगोयमगोव्वतियगिहि धम्मधम्मचिंतग| अविरुद्धविरुद्धवुड्ढसावगप्पभितओ पासंडत्या कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलते इंदस्स वा खंदस्स वा रुद्दस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स वा जक्खस्स वा भूअस्स वा मुगुंदस्स वा अज्जाए वा दुग्गाए वा कोट्टकिरियाए वा उवलेवणसंमज्जण आवरिसण धूवपुष्पगंधमल्लाइआई दव्वावस्सयाई करेंति, से तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं । २० । से किं तं | लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं?, २ जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरणुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्टा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपडपाउरणा जिणाणमणाणाए सच्छंदं विहरिऊणं उभओकालं आवस्सयस्स उवद्वंति से तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं, से तं जाणयसरीर भविअसरीरवइरित्तं दव्वावस्सयं, से तं नो आगमतो दव्वावस्सयं, से तं दव्वावस्सयं । २१ । से किं तं भावावस्सयं?, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ४ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal

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