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ज्ञान के आराधक श्री रणजीतसिंह जी कूमट ने इस पुस्तक का प्राक्कथन लिखने की स्वीकृति प्रदान की, इसके लिए में उनका हृदय से कृतज्ञ हूँ।
मेरे विद्यार्थी डॉ श्यामराव व्यास. सहायक प्रोफेसर, दर्शनविभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर का आभारी हूँ, जिन्होंने इस पुस्तक के अनुवाद को पढ़कर उपयोगी सुझाव दिये । डॉ. हकम चन्द जैन (जैन विद्या एव प्राकृत विभाग, सुग्वाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर), डॉ. सुभाष कोठारी तथा श्री सुरंश सिसोदिया (पागम, महिंसा-समता एवं प्राकृत सस्थान, उदयपुर) ने प्रूफ संशोधन में जो .सहयोग दिया है उसके लिए प्राभारी हूँ।
मेरो धर्म पत्नी श्रीमती कमला देवी सोगाणी ने इस पुस्तक को गाथाओं का मूल ग्रन्थ से सहपं मिलान किया है तथा प्रफ-संशोधन का कार्य रुचि पूर्वक किया है, अतः मैं अपना प्राभार प्रकट करता हूँ।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्राकृत भारती । अकारमो जयपुर के सचिव श्री देवेन्द्रराज जी मेहता तथा संयुक्त सचिव एवं निर्देशक महोपाध्याय श्री विनयसागर जी ने जी व्यवस्था की है, उसके लिए उनका हृदय से प्राभार प्रकट करता हूं।
एच-7, चितरंजन मार्ग "सी" स्कीम, जयपुर-302001
कमलचन्द सोगाणी
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[ उत्तराध्ययन