Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 121
________________ 108 तम्रो (प्र) तत्र सी (न) 1/1 मनि पहसिप्रो (नहस ) भूक 1/1 राया (राय) 1 / 1 सेणिश्रो ( संशिम) 1 / 1 मगहाहियो [ ( मगह) + (हिवो ) ] [ ( मगह ) - ( अहिव) 1 / 1] एवं == एव (भ) = जैसे ते ( तुम्ह ) 4 / 1 स इडिटमंतस्स (इनिमंत) 4 / 1 वि कहं (भ) = = कैसे नाही (नाह) 1 / 1 न ( प्र ) :- नहीं विज्जई (विज्ज) व 31 अक.. 109. होमि (हो) व 1/1 अक नाहो (नाह) 1 / 1 भयंताणं (भयत ) 4/2 वि भोगे (भोगे) 2/2 भुजाहि (भुंज) विधि 2 / 1 सक संजया (संजया) 8 / 1 मित्त-नाईपरिवुड [ ( मित्त) - (नाई ) 2 - ( परिवुड) भूकृ 1 || प्रनि] मारणस्तं ( माणुस्स ) 1 / 1 खु (प्र) = सचमुच सुदुल्लाह [ ( सु- (दुल्लह) 1/1 दि] 110. प्रप्परगा (प्र) = स्वयं वि सि (प्रस) व 2 / 1 [ ( मगह ) + (ग्रहिया ) | | ( मगह ) (संत) वकृ 1 / 1 अनि क्जस (क ) भविसामि (भव 2 / 1 प्रक प्रणाही ( अ ) == ही ग्रक सेलिया (सेगिम) ( मरणाह ) 1/1 8 / 1 मगहाहियो ( प्रहित) 8 / 1 ] संतो 611 नाहो ( नाह) 1/1 111. एवं (अ) इस प्रकार वृत्तो (वृत्त) मूह 1 / 1 ग्रनि नरिबो (नरिख) 1 / 1सो (त) 1 / 1 सवि सुसंभंतो [(सु) (प्र) - (संभत) भूकृ 1/1 fr] सुविहो [ (सु) ( ) - ( विहिम) भूकृ 1 / 1 अनि ] वयर 1. मनुस्वार का भागम (हेम-प्राकृत-व्याकरण, 1-26) 1 2. समासगत शब्दों में रहे हुए स्वर परस्पर में दोध के स्थान पर रहस्य हो जाया करते है (हेम-प्राकृत व्याकरण : 1-4) | 3. (प्रस्वकृ + सत्स+संत चयनिका संतो ) । [ 97

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