________________
11J विहारस्तं (विहारजस) 211 निजामो (निज्जाम) भूक 111 पनि मंसिकुच्छिसि (मण्डिकुच्छ) 7/1 चेहए (चइ24)7/i.
101. माणादुमलयाइएणं [(नारणा)-(दुम)-(लया)-(इण्ण) भूक 1/1
भनि] नागापक्षिनिसेवियं [(नाणा)-(पक्खि)-(निसेविय) भूक 1/1 पनि] नाणाकुसुमसंपन्न [(नारणा)-(कुसुम)-(सं-छन्न) भूक 1/1 प्रनि] उज्जाणं (उज्जा) 11 नंबणोषम (नन्दण)* (उपमं)] [नन्दरा)- (उवम) I|| वि]
102. तत्य (प्र):- यहां सो (त) 1/1 सवि पासई (पास) व 3/1 सक
साहुं (साहु) 211 संगयं (संजय) भूकृ 2/1 अनि सुसमाहियं (सु-समाहिय) भूक 1/1 प्रनि निसन्नं (निसन्न) भूक 1/1 भनि सरखमूलम्मि [(रुख)-(मूल) 711) सुकुमाल (सुकुमाल) 21 वि. सुहोर (मुह) + (उदय)] [(मुह)-(उदय) भूक 2/1 अनि]
103. तस्स (न) 6/1 स स्वं (व) 2/1 तु (म)= और पासिता
(पास) संकृ राइणो (राप)6/1 सम्मि (त) 7/1 स पश्चंतपरमो [(पच्चंत) वि-(पस्म) 111 वि] प्रासी (प्रस) भू 3/1 प्रतुलो (प्रतुन) 11 दिल्यविम्हमो [(स्य)-(विम्हप्र)1/1]
1. 'गमन भयं में भूतकालिक फुदन्त कवाय में प्रयुक्त हुमा है। 2. कमी-कमी सप्तमी का प्रयोग द्वितीया के स्थान पर पाया जाता है (हेम-प्राकृत
व्याकरण: 3-135) । 3. समास के प्रारम्भ में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है (पाप्टे : संत हिन्दो-प्रोय) 4. समान अन्त में इसका पपं होता के समान' (पाप्टे : संस्कृत हिन्दी को)। 5. छन्द की माता के लिए को ''या गया।
वर्तमान का प्रयोग भूतकास पर्व में हमा है।
चयनिका
[ 95