Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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(चेय) 3/1 महा (म)=जैसे प्रणाहो (मरणाह) 1.! भवति (भव) व 3/1 प्रक मे (प्रम्ह) 3/1 स य (अ)= पादपूरक पवत्तिर्ग (पवत्तिय) भूक / अनि
116. कोसंबी (कोसंबी) 1/1 नाम (म)= नामक नयरी (नयरी) 1/1
पुराणपुरमेयणी [(पुराण)-(पुर)-(भेयण स्त्री-भयणी) 1/1] तत्य (प)--वहां प्रासी (प्रस) भू 3/1 अक पिया (पिउ) 1/1 मझ (मम्ह) 6/1 स पभूयमणसममो [(पभूय) वि-(घण)(संचन) 1/1]
117. परमे (पढम) 7/1 वि वए (वन) 7/1 महाराय (महाराय)
81 अतुला (अतुल स्त्री- अतुला) 111 वि मे (अम्ह) 6/1 स पच्छिवेयरणा [(च्छि)-(वेयणा) 1/1] महोत्या (महोत्थ स्त्री-महोत्था) 1/1 वि विठलो (विउल) 1/1 वि
हो (दाह) 111 सम्वगतेसु [(सम्व) वि- (गत) 712] परिपवा (पस्थिव) 8/1
118. सत्यं (सत्य) 2/1 नहा (म)-जैसे परमतिम [(परम) वि
(तिक्स) 2/1 वि सरीरवियरंतरे (सरीर) + (वियर) + (मन्तरे)] [(सरीर)-(वियर)-(प्रन्तर) 7/1] पविसेज्जा (पविस) व 3/1 सक (यहाँ पाठ होना चाहिए पवेसेज्ज (पविस प्रे-पवेस)व प्रे3/1 सक) परी (अरि)1/1 कुटो (कुल)1/1वि एवं (म)=उसी प्रकार मे (अम्ह) 6/1 स भन्टिवेयपा [(पच्छि )-(वेयणा) 1/1]
1. अनुसार का पागम हुमाई (प्राव म्याकरण, 1-2601
पयनिका
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