Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 127
________________ 131. एवं (अ) इस प्रकार च (प्र) ही चितइत्ताणं (चित) संकु पासुतो ( पासुत) मूक 1 / 1 अनि मि (प्रस) व 1 / 1 अक नराहिबा ( नराहिव ) 8 / 1 परियततीए (परित+वक परियतत स्त्री परियतती) व 7/1 राईए (राई) 7/1 बेला (वेयरणा ) 1 / 1 मे (ग्रह) 6 / 1 स खयं (वय) 2 / 1 गया ( गय+ गया) भूक 1 / 1 अनि 132. तो ( प्र ) == तब कल्ले ( कल्ल) 1 / 1 वि पभायम्मि (पशाय) 7/1 प्रापुच्छितारण ( प्रापुच्छ) संकृ बंधवे (बंभवे ) 2/2 संतो ( खंत) 1 / 1 वि दंतो ( दत) 1 / 1 बि निरारंभी (निरारंभ ) 1/1 वि पव्वइम्रो ( पव्वइन) भूकू 1 / 1 अनि अरणगारियं (अरणगारिय) 2/1 fa 133. तो (प्र) = इसलिए हं (प्रम्ह ) 1 / 1 स नाही (नाह) (जाम) भूकृ 1 / 1 अनि अप्पणी (ग्रप्प) 6 / 1 वि य परस्स ( पर) 6/1 विम ( अ ) भी सव्वेंस ( सन्न) चैव (प्र) ही भूधारणं (भूय) 6 / तसारणं ( तस ) 6 / 2 थावराण ( पावर) 6/2 य (भ) =भोर 1 1/1 जामो (x) भीर 6 / 2 वि 134. अप्पा 1 / 1 नवी (नदी) 1/1 वेयरणी (वेयरणी ) मे (प्रम्ह ) 4 / 1 स कूडसामली (कूडसामलि) 1 / 1 कामदुहा (कामदुहा) 1 / 1 घे (घेण.) 1/1 नंदणं (नंदा) 1 / 1 वर (वण) 1/1 वि • 1. कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण: 3-137) aafoet [ 103

Loading...

Page Navigation
1 ... 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137