Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 134
________________ - ( मरण. रत) 1 / 1 वि] बिमलेल (विमल) 311 चेयसा (चेय) 3/1. .. 151. ऊससियरोमको [ ( ऊससिय) वि (रामकूव ) 1/1] काऊण (काऊण) संकृ प्रनि. य (म) पादपूरक पाहिन (पर्यााहिए ) 2/1 प्रभिवंदिकण (प्रभिबंद) संकृ सिरसा (सिर) 3 / 1 प्रतिपाश्र ( प्रति - याम) भूक 1/1 धनि नराहिबो ( नराहिव ) 1/1 152. इसरो (इयर) 1 / 1 दिवि (प्र) = भी गुणसमिद्धो [(गुण) -- ( समिद्ध) भूक 1 / 1 प्रनि ] तिगुतिगुतो [ ( तिगुति ) - (गुत्त ) 1 / 1 वि] तियंडबिरनो [ (तिदंड) - (विरम) 1 / 1 वि] य (प्र) = मोर बिहग (बिहग ) मूलशब्द 1 / 1 इब (भ) = को तरह विपक्को (विप्पक्क) भूकृ 1 / 1 मनि विहरs (विहर) 3 / 1 सक बसु (वसुहा) 2/1 विग्यमोहो [ (विजय) भूकु प्रनि - ( मोह) 1/1] 1. अर्धमामषो में 'सा' प्ररमम जोड़ दिया जाता है । 110 ] उत्तराध्ययन

Loading...

Page Navigation
1 ... 132 133 134 135 136 137