Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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127. मन्नं (मन्न) 2/1 पाएं (पारण) 2/10 (म)=ोर हाणं
(व्हाण) 211 गंप-मल्लविलेवएं [(गंध)-(मल्ल)-(विलवण) 21 मए (पम्ह) 3/1 स पापमणापं [(गाय) + (मरणापं)] रणायं (णाय मूक 1/1 मनि मणायं (प्रणाय) मूक 1/1 पनि वा (म)प्रपया सा (सा) 1/I सवि बाला (बाला) 1/1 नोवमुंबई
[(न) + (उपमुंजई)] न (म) सबमुंजई 1 (उवमुंज) व 3/1 128. वरणं (4)-एक क्षण के लिए पि (4)= भी मे (पम्ह) 6/1
स महाराय (महाराय) 8/1 पासापो (पास) 5/1 वि (म)=ही न (म)=नहीं पिट्टई । (फिट्ट) व 3/1 क य (म)=फिर भी दुक्ला (दुक्ख) 5/1 विमोएइ (विमोम) व 3/1 सक एसा (एता)
1/1 सवि मग्म (मम्ह) 6/1 स प्रणाहया (मरणाहया) 1/1 129. समो (म)=तब हं (भम्ह) 1/1 स एवमाहंसु [(एवं)+
(पासु)] एवं (म)-इस प्रकार मासु (माह) भू 1/1 सक सुक्समा (दुक्समा) 1/1 वि ह (म)=निश्चय ही पुरणो पुरणो (म)-बार बार बेपणा (वयपा) 1/1 मरण भवितं (मण भव) संक (म)-पादपूर्ति संसारम्मि ( ) संसार 711 मगन्तए
(पणंतप) 11 दि 130. सई (प)-तुरन्त प (म)=ही ना यदि मुहिम्ना (मुश्चिज्जा)
विषि कर्म 1/1 सक मनि वेयरणा (वेयण) 511 विउला (विउल) 511 वि इमो (म)= इससे संतो (खंत) 111 वि बंतो (दंत) 1/1 वि निरारंभो. (निरारंभ) 1/1 वि पम्बए (पम्वम) 7/1 मणगारियं(परणगारिय) 2/1 वि
1. देगाषा 126
2. (पिसलः प्राकृत भाषामों का भ्याकरण- पृष्ठ 157) - . कभी कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है
हिम-प्राकृत व्याकरण: 3-137)
102 ]
उत्तराध्ययन

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