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19. तियं (तियं) ।।। मे (अम्ह) 611 स अंतरिच्छं (अंतरिच्छ)
2/1 व (य)-और उत्तमंग (उत्तमंग) 2/17 (य)-नया पोरई (पीड) 4 3/1 मक इंदासविसमा [(इंद)+(असणि) + (समा)] [(इंद)-(प्रसारिण)-(सम स्त्री--समा) 111 वि] घोरा (घोर-घोरा) !!! वि वेपला (वेयणा) 1|| परमवारसा [(परम) वि-दारुण+दारुण) 111 वि]
120. उवटिपा (उवट्टिय) भूक 1/2 अनि मे (अम्ह) 6/1 स प्रारिया
(प्रायरिया) 1/2 विग्जामंतचिगिन्छगा [(विज्जा)- (मंत)(चिगिच्छग) 1/2] अबीया (प्र-योय) 1/2 वि सरथकुसला [(सत्य)
-(कुसल) 1/2 वि] मंत-मूलविसारया [(मंत)- (मूल)(विसारय) 1/2 वि]
121. ते (स) 1/2 म मे (अम्ह) 6/1 स तिगिच्छं (तिगिच्छा) 2/1
कुव्यवंति (कुम्व) व 312 सक चाउप्पायं (चाउप्पाय) 211 वि जहाहियं (जहाहिय) 2/1 वि न नहीं य (प्र) = किन्तु दुक्खा (दुक्ख)511 विमोयंति (विमोय) व 3/2 सर एसा (एत) 111 सवि मज्झ (पम्ह) 6/1 प्रणाहया (अपाहया) 1/1.
1. तिय (विक)-कमर [Monier Williams: Sana. Eng Dict.] 2. 'पाकार मोर पृथ्वी के बीच का मध्यवर्ती प्रदेन (कटि और मस्तिष्क के बीच का
हिस्सा) . 3. कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है
(हेम-प्राकृत- याकरण, 3-137)। 4.पूरी या मापी के गाया के अन्त में पाने वाली 'इ' का क्रियामों में वहुधा 'ई' ही - जाता है (पिशल प्राकृत भाषामों का व्याकरण, पृष्ठ, 138) ।
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उत्तराध्ययन