Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 125
________________ 122. पिया ( पिउ) 1 / 1 मे (प्रभु) 6 / 1 म सम्वसारं [ ( सव्व) वि(सार) 2/1] पि ( प्र ) == भी बेज्जाहि' (दा) विधि 2 / 1 मम ( ग्रम्ह ) 6/1 स काररणा ( कारण ) 5 / 1 शेष के लिए देखें 121 सक 123. माया (माया) 1/1 वि (प्र) = भी मे (मम्ह ) 6/1 स महाराय ( महाराय ) 8 / 1 पुत्तसोगबुहऽट्टिया [ ( पुत्त ) - (सोग ) - (दुह ) ट्टिया ) 1 / 1 वि] शेष के लिए देखें 121. 124. भायरो (भार) 1/1 मे (ग्रह) 6/1 म महाराय (महाराय ) 8 / 1 सगा (सग ) 1/2 जेटु-करिणट्टगा ( (जेडु) - (करिणट्टग ) 1/2 वि 'ग' स्वार्थिक] शेष के लिए देखें 121. 125. भहणोश्रो (भाइणी ) 1/2 मे (ब्रम्ह ) 6 / 1 स महाराय (महाराय ) 8/1 सगा (सग ) 1/2 वि जेटू-फलिहूगा [ ( जेट्ट- (करिणट्ठग) 1/2 वि 'ग' स्वार्थिक] शेप के लिए देखें 121 1 126. भारिया (भारिया ) 1 / 1 मे (भ्रम्ह ) 6 / 1 स महाराय (महाराय ) 8/1 अरण रता (प्रणुरत स्त्री सुरता ) 1/1 वि भरव्यया (श्रणुव्वया) 11 सुपुण्ोहि [ (अंसु )- (पुण्ण) भूकृ 3 / 2 मनि ] नमोह (नया) 312 वरं (तर) परिसिचाई 3 (परिसिंच) व 3 / 1 सर 1. (हेम-प्राकृत व्याकरण: 3-178) sen 2. सगा (स्वका ) = मित्र या परिवार के लोग (Mon English Dictionary) 3. पूरी गाथा के ग्रग्न में माने वाली '६' का क्रियाशी (पिशन प्राकृत भाषामों का व्याकरण, पृष्ठ 138, चयनिका [ 101

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