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121. जैसे हितकारी हो (वैसे) उन्होंने मेरी चार प्रकार की
चिकित्सा की, किन्तु (इसके बावजूद भी) (उन्होंने) (मुझे)
दुःख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है)। 122. (हे राजाधिराज !) (जैसे) (तुम्हें) देना चाहिए (वसे)
मेरे पिता ने मेरो चिकित्सा के) प्रयोजन से (चिकित्सकों को) सभी प्रकार को धन-दौलत भी (दो), फिर भी (पिता
ने) (मुझे) दुःख से नहीं छुड़ाया । यह मेरी प्रनाथता (है)। 123. हे राजाधिराज ! मेरी माता भी पुत्र के कष्ट के दुःख से
पीडित (थो), फिर भी (मेरी माता ने) (मुझे) दुःख से
नहीं छड़ाया। यह मेरी अनाथता है। 124. हे महाराज ! मेरे भाई ने (चाहे वह) छोटा (हो) (चाहे)
बड़ा (और) मेरे मित्रों ने भी (मुझे) (भरसक प्रयत्ल करने
पर भी) दुःख में नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है) । 125. हे राजाधिराज ! मेरी निजी छोटो-बड़ी बहनों ने भी (भरसक
प्रयत्न किया) (किन्तु) (उन्होंने) (भी) मुझे दुःख से नहीं
छुड़ाया। यह मेरी अनाथता है । 126. हे राजाधिराज! पतिव्रता (और) मुझ से संतुष्ट .मेरी
पत्नी ने प्राँसू भरे हुए नेत्रों से मेरी छाती को भिगोया। 127. मेरे द्वारा जाना गया (हो) अथवा न जाना गया .(हो),
(तो भी) वह (मेरी पत्नी),(जो) तरुणी (थी), (कभी भी) भोजन और पेय पदार्थ का तथा स्नान, सुगन्धित द्रव्य, फूल (और) (किसी प्रकार के) खुशबूदार लेप का उपयोग नहीं . करती (थी)।
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