Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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उबेच (उवेच) संक भोगा (भोग) 1/2 पुरिसं (पुरिस) 2/1 पति (चय) व 3/2 सक दुमं (दुम) 2/1 जहा (अ)=जैसे खोए फत (सोणफल) 2/1 वि व (म) =जैसे पक्खो (पक्खि) 1/2
57. गणमेत्तसोक्खा [(खणमेत-(सोक्स) 1/2 वि] बहुकालदुस्ता
[(बह) वि-(काल)-दुक्स) 1/2 वि] पकामदुक्खा [(पकाम) वि-(दुक्स)1/2 वि] पनिकामसोक्खा[(अनिकाम)-(सोरख) 1/2 वि] संसारमोक्लस्स [ (संसार)-(मोक्ख) 6/1] विपक्खनूया [(विपंक्स)-(भूय) 112 वि खाणी (सारिण) 1/1 भणत्पाए (मरणत्य) 612 उ(अ)=निश्चय ही कामभोगा [(काम)-(भोग) 1/2]
58. परिग्वयंते (परिम्बय) व 1/1 प्रनियतकामे [(म-नियत्त) भूक
मनि-(काम) 111] महो (म)=दिन में य (प्र)=पौर रामो (अ)-रात में परितप्पमारणे (परितप्प) व 1/1 प्राणप्पमत्ते [(मण्ण)- (प्पमत्त) 1/1 वि] पणमेसमारणे [(घणं) + (एसमाणे)] पणं (घण) 2/1 एसमारणे (एसमारण) वकृ 1/1 पप्पोति (पप्पोति) व 3/1 सक भनि मच्चु (मच्चु) 2/1 पुरिसे (पुरिस) 1/1 परं (जरा) 2/14 (म)=ौर
59. इमं (हम) 1|| सवि च (म)=पौर मे (मम्ह) 6/1 स प्रत्मि
(म)-है नरिप (म)=नहीं च (प)-पौर मे (पम्ह) 3/1 से
1. दो वाक्यों मपा शन्दों को जोड़ने के लिए कभी-कभी दो 'ब' का प्रयोग 'भोर'
प्रर्ष में किया जाता है। , .
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उत्तराध्ययन

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