Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 100
________________ 43. बोदि (वोच्छिद) पाना 2 / 1 सक सिनेमप्पलो [ (सिणेह) + (प्रणो ) ] सिगेहं (सिणेह) 2/1 (कुमुय ) 1/1 सारइयं (मारइय) पारिणयं ( पारिणय) 2/1 से (त) [ ( सम्ब) - (सिणेह ) - (जिम) 2/1 गोयम (गोयत्र ) 8 / 1 मा विधि 2/1 प्रक. प्रप्पणी (भ्रप्प) 6 / 1 कुमुयं 1 / 1 वि व (प्र) = जैसे कि 1 / 1 सवि सम्बसिणेहवज्जिए भूक 1 / 1 पनि ] समयं (समय) ( प ) मत पमायए ( पमाय ) 44. मुझे (बुद्ध) 7/1 वि परिनिष्वए (परिनिभ्युम)7 / 1 वि घरे (चर) विधि 2/1 प्रक. गाम' (गाम) मूल दाब्द 7/1 गए (गम) भूकृ 1 / 1 प्रनि नगरे (नगर) 7/1 व (प्र) = मथवा संजए (मंजप्र ) 7 / 1 वि संतिमगं [ ( संति) - ( मग्ग) 2 / 1] (प्र) - इसके प्रतिरिक्त वहए = वूहए ( बुह = वूह ) विधि 2 / 1 मक समय (समय) 2/1 गोयम (गोयम) 8 / 1 मा ( प्र ) == मन पमायए ( पमाय) विधि 2 / 1 प्रक. 45. जे (ज) 1 / 1 सवि यावि ( प्र ) - तपा होइ (हो) व 3 / 1 अक निब्विज्जे (निव्विज्ज) 1 / 1 वि पढे (पद्ध) 1/1 वि तुद्धे (लुद्ध) 1 / 1 विप्रनिग्गहे ( प्रनिग्गह) 1 / 1 वि भिक्खणं ( प्र ) = वारंवार उल्लवई (उल्लव) व 3 / 1 सक प्रविरोए ( प्रविणो ) 1 / 1 वि बस्स (बहुस्सम) 1 / 1 वि. 1. किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है (पिशल: प्राकृत भाषार्थी का व्याकरण : पृष्ठ 517 ) गाया 39 देखें | छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु 'इ' को 'ई' किया गया है । 2. 3. 76 ] उत्तराध्ययन

Loading...

Page Navigation
1 ... 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137