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142. जैसे कि पिया हुमा हलाहल विप, जैसे कि गलत ढग से
पकड़ा हुआ शस्त्र और जैसे.कि शक्तिशाली पिशाच..(व्यक्ति को) नष्ट कर देता है, वैसे ही विपयों से युक्त आचरण (भी) (व्यक्ति को) नष्ट कर देता है।
143. जो (साघु) (शुभ-अशुभ फल बतलाने क लिए) शरीर-चिन्ह
को तथा स्वप्न को काम में लेता हुआ (समाज में रहता है), (जो) भविष्यसूचक शकुनों तथा उत्सुकता को. उत्तेजित करने वाले कार्यों में अत्यन्त आसक्त (होता है), (जो) मंत्रतंत्र आदि के ज्ञान के द्वारा, ऐन्द्रजालिक कुशलता के द्वारा
तथा हिंसादि के माध्यम से जीनेवाला (होता है), वह उस . ' समय में (कर्म-फल भोगने के समय से) (किसी के) आसरे .... को प्राप्त नहीं करता है।
144. जो आचरणरहित (साधु) (है) (वह) अंधकार (मूल्यों के
मभाव) में (ही) (रहता है), (वह) (उस) अंधकार के द्वारा . ही विपरीतता (अध्यात्मरहित) को प्राप्त करता है और ... (इसलिये) सदा दु:खी होता (रहता है)। (फलतः) नरक और
तिर्यच योनि की ओर तेजी से दौड़ता है। 145. जिस (खराबी) को अपनी दुष्ट मानसिकताएँ उत्पन्न करती
हैं, उस (खराबी) को गला काटनेवाला दुश्मन (भी) उत्पन्न नहीं करता है। (इस बात को) (जीवनभर जीवों की) करुणा से रहित (मनुष्य) (जो) मृत्यु के द्वार पर पहुँचा हुआ
(है), वह पश्चाताप के साथ समझंगा। .. 1. शकुन-विशिष्ट पशु. पक्षी, व्यक्ति, वस्तु व्यापार के देखने, सुनने, होने मारि
से मिलने वाली शुभ.पशुभ की पूर्व सूचना ।
पनिका .
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