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18. सोही (सोहि) | रम्जुयभूयस्त [(उग्य) वि-(य) 61]
धम्मो (धम्म) in सुरस्स. (भुढ) 611 वि चि (चिट्ठ) 3/1पक निम्बार्ग (निम्बाण) 211 परमं (परम) 21 दि बाइ (जा) व 3|| सक धसित [(चय)-सित) || भनि] (प)=की तरह पावए (पावम) 11
19. प्रसंलयं (असंखयं) भूक 11 प्रनि गोविस (जीनिय) मूलगन्द
11 मा (प्र)-मन. पमायए (पमाय) विषि 2/1 भक नरोवरणीयस्स [(जरा+(उवरणीयस्स)] [(जग)-(उवरणीय) भूक 411 पनि हु (प)=योंकि नरिप () नहीं तान (तारा) I|| एवं (प्र)=इस प्रकार वियागाहि' (वियाण) विधि 2/1 मक अगे (जण) 1 पमते (पमत्त) 1 वि किन्नु (4) किसका विहिंसा (विहिस) 1/2
विजया (अजय) 112 दि गहितिः (मह) भवि 312 सक
20. 2 () F12 पावसहि .[(पाद)-(कंम्म) 3/2] बर्ग (पए)
2|| मस्सा (मणुस्म) 12 समाययती (ममापर) व 3/2 मक मई (प्रमई) 211 गहाय (मह) मंक महार (पहा) संक
1. कमी की सप्तमो जिक्ति के सान पर नकी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता
है हिम-प्राकृत-व्याकरण : 3-134) 2. देणं गाया। 3. कभी कभी प्रकारान्त पातु के अन्नपस्न 'प' के स्थान पर भासाप-विध्यर्षक
प्रत्पयों का मनाव होने पर 'पा' होता है (देम-प्राकृत-पाकरण : 3-158)। 4. 'गह का भविष्यत् कास होगा 'गहिहिति' इनमें 'हि' का वैकल्पिक रूप से मोष
होता है पत: गिहिति' म्प पना (हेम-प्राकृत-व्याकरण : 3-172)। 5. पन्द की माता की पूर्ति हेतु 'ति' को 'a' किया गया है।
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