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151. (अध्यात्म में अनुराग-युक्त होने से) (राजा का) रोम-रोम
प्रसन्न था । राजा (माधु की) प्रदक्षिणा करके और सिर से प्रणाम करके (वहाँ से) चला गया।
152. (जिसका) मोह नष्ट हुआ (है), (जो) गुणों से भरपूर (है),
(जो) मन-वचन-काय के संयम से युक्त (है), (और) (जो) मन-वचन-काय को हिंसा से. दूर-(है), ऐसा दूसरा (व्यक्ति) अथात् साधु भी स्वतन्त्र हुए पक्षी की तरह पृथ्वी पर विचरा।
चयनिका