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उत्तराध्ययन - चयनिका
1. (जो) गम की सेवा करनेवाला (है), (जो) (उसकी)
अाजा (योग) (उसके) उपदेश का पालन करनेवाला (है), (जी) शरीर के विभिन्न अंगों की चप्टा से (तथा) चहरे के रंग-ढंग से (उसके) प्रातरिक विचार (की समझ) से युक्त (है), वह विनीत (विनम्र) कहा जाता है।
2. (शिप्य) (गर के) प्रादेश को बार-बार न चाहे, जैसे कि
दुदंम घोड़ा चाबुक को (वार-चार चाहता है) । (शिप्य) (गुरु के मादेश से) पापमय (कर्म) को छोड़े जैसे कि कुलीन घोडा चावुक को देखकर (उपद्रवकारी प्रवृत्ति को छोड़ देता है)।
3. (यदि) (गुरु के द्वाग) पूछा नहीं गया (है), (तो) कुछ न
वोल और (यदि) (गुम के द्वारा) पूछा गया है, (तो) झूठ न बोले । क्रोध को मिथ्या (अस्तित्वहीन) करें । (तथा) (गुरु के) प्रिय (ौर) अप्रिय वचन को धारण करे ।
+. आत्मा ही सचगव कठिनाई से वश में किया जानेवाला
(होता है).(तो भी) प्रात्मा ही वश में किया जाना चाहिए। (कारण कि) वश में किया हुया प्रात्मा (ही) इस लोक और पर-लोक में मुखी होता है।
चयनिका