Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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74 खलुका वारिसा नोमा दुस्सीसा विह तारिसा ।
जोया धम्मजामि भजति पिम्बसा ॥
75 सामाइएणे भंते ! जोवे कि जणयह? सामाइएण सावज्ज
जोगविरजणयह।
76 पायन्छित्तकरणेणं भंत ! जीवे कि जरण्यइ ? पार्याच्छ
तकरणेणं पायकम्मविसोहि जणयइ, निरइयारे यावि भवइ । सम्मं च पं पायच्छित्तं परिवज्जमाणे मग्गं च मगफलं च विसोहेइ, मायारं च मायारफलं च पाराहेइ ।
77 खमावरणयाए णं भंते ! जोवे कि जरगयइ ? खमावण्याए
नं पल्हायरणभावं जरण्यइ । पल्हायरणभावमुवगए य सव्यपाण -भूय-जीव-सत्तेसु मेतीभावं उप्पाएइ । मेत्तीभावामुवगए यावि जीवे भावविसोहि कारण निम्भए भवइ ।
78 पम्मकहाए णं भंते ! जीये किं मरणयइ ? घम्मकहाए णं
पवयणं पभावेह, पवयणपभाषए णं जोवे भागमेसस्सभहत्ताए कम्मं निबंध।
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उत्तराध्ययन

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