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10. खोटी निगाहवाला (व्यक्ति) (गुरु के) मंगलप्रद (तथा)
शिक्षण प्रदान करनेवाले (आदेश) को इस प्रकार मानता है (कि) (वह) मेरे लिए ठोकर (है), (वह) मेरे लिए थप्पड़ (है) तथा (वह) मेरे लिए कटु वचन और प्रहार (है) ।
11. इस संसार में व्यक्ति के लिए चार उत्कृष्ट अंग (साधना)
दुर्लभ (हैं) : मनुष्यत्व, (अध्यात्म का)श्रवण, श्रद्धा तथा संयम में सामर्थ्य ।
12. (जो) जीव कर्म-संग से मोहित (और) दुःखी (होते हैं),
(जिनकी) पीडाएं अत्यधिक (होती हैं), (वे) अमनुष्य संबंधी (मनुष्येतर) योनियों में हटा (चला) दिए जाते हैं ।
13. किन्तु कर्मों के विनाश के लिए किसी समय भी (जब)
सिलसिला शुरु होता है), (तो) शुद्धि को प्राप्त जीव - मनुष्यत्व ग्रहण करते हैं।
14. मनुष्य-संबंधी शरीर को प्राप्त करके (उस) धर्म (अध्यात्म)
का श्रवण दुर्लभ (होता हैजिसको सुनकर (मनुष्य) तप, क्षमा (ओर) अहिंसत्व को स्वीकार करते हैं।
15. कभी (अध्यात्म के) श्रवण को प्राप्त करके (भी) (उसमें)
श्रद्धा अत्यधिक दुर्तभ (होती है)। (अध्यात्म को भोर) ले जानेवाले मार्ग को सुनकर (भी) बहुत (मनु-समूह) विचलित हो जाता है।
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