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(यह ) (संसार में) अपने लिए दुश्मनी बढ़ाता है ।
46. जो ममतावाली वस्तु-बुद्धि को छोड़ता है, वह ममतावाली वस्तु को छोड़ता है; जिसके लिए (कोई ) ममतावाली वस्तु नहीं है, वह ही (ऐसा ) ज्ञानी है, (जिसके द्वारा ) ( अध्यात्म) - पथ जाना गया है ।
47. वीर (ऊर्ध्वगामी ऊर्जावाला व्यक्ति )
( मूल्यों से) विकर्षरण ( अलगाव ) को ( समाज के जीवन में ) सहन नहीं करता है, (तथा) वीर (पशु - प्रवृत्तियों के प्रति आकर्षण (लगाव ) को भी ( समाज के जीवन में ) सहन नहीं करता है । चूंकि वीर - ( किसी भी विपरीत परिस्थिति में ) खिन्न नहीं ( होता है), इसलिए वीर ( किसी भी अनुकूल परिस्थिति में) खुश नहीं होता है । ( वास्तव में वह समताभाव में स्थित रहता है) । 48. जो (मनुष्य) समतामयी (आत्मा) के दर्शन करने वाला ( है ), वह अनुपम प्रसन्नता में ( रहता है), जो (मनुष्य) अनुपम प्रसन्नता में ( रहता है), वह समतामयी (आत्मा) के दर्शन करने वाला ( है )
।
49. वह ऊँची, नीची (और) तिरछी दिशाओं में सब ओर से पूर्ण जागरूकता से चलने वाला (होता है ) | ( अतः ) ( वह ) वीर (ऊर्ध्वगामी ऊर्जा वाला) हिंसा-स्थान के साथ (अप्रमादी होने के कारण ) संलग्न नहीं किया जाता है ।
50. जो भी (कर्म) - बंधन और (कर्म से ) छुटकारे के विषय में खोज करने वाला (होता है), जो श्राघातरहितता (अहिंसा) को जानने वाला (होता है), वह मेधावी ( शुद्ध बुद्धि) (होता है) ।
कुशल ( जागरूक ) और न ( कर्मों से)
चयनिकां ] :
(व्यक्ति) न ( कर्मों से) बंधा हुआ ( है ) मुक्त किया गया ( है ) | ( आत्मानुभवी
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