Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 170
________________ 100 जहाजैसे । से= वाक्य की गोमा। दीवे द्वीप । असंदीने = असंदीन (पानी में न डूबा हुआ)। एवं = इसी प्रकार । धम्मे = धर्म। आरिय पदेसिए = समतादर्शी द्वारा प्रतिपादित । 101 दयं (दया) 2/1 लोगस्स (लोग) 6/1 जापिता (जाण) संकृ पाई (पाईणा) 2/1 पडीरणं (पढीणा) 2/1 दाहिणी (दाहिया) 2/1 उदीणं (उदीणा) 2/1 आइक्ले (प्राइक्स) विधि 3/1 तक विभए (विभय) विधि 3/1 सक फिट्ट (किट्ट) विवि 3/1 सक वेदवी (वेदवि) 1/1 वि 101 दयं =दया को। लोगस्स-जीव-समूह की। जाणित्ता-समझकर। पाईणं पूर्व दिशा को-पूर्व दिशा में। पडोपं = पश्चिम दिशा कोपश्चिम दिशा में। दाहिणं-दक्षिण दिशा को-दक्षिण दिशा में। उदीणं = उत्तर दिशा को- उत्तर दिशा में। माइक्ते उपदेश दे। विभए = वितरित करे । कि? = प्रशंसा करे । वेदवी=ज्ञानी । 102 गामे (गाम) 7/1 अदुवा (अ) =अथवा रणे (रण्ण) 7/1 पेव (अ)=न ही घम्ममायाणह [(धम्म)+ (आयाणह)] धम्म (घम्म) 2/1. पायाणह (आयाण) विधि 2/2 सक पवेदितं (पवेदितं) भूक 2/1 अनि माहणेण (माहण) 3/1 वि मतिमया (मतिमया) 3/1 अनि 102 गामे = गांव में । अदुवा प्रयवा । रण्ये= जंगल में। ऐव= न ही। धम्ममायाणह% [(धम्म) + (आयाणह)] धर्म को, समझो। पवेदितं = प्रतिपादित । माहरणेण= अहिंसक के द्वारा। मतिमया=प्रज्ञावान् (के द्वारा)। 103 अहासुतं (अ) जैसा कि सुना है. वदिस्सामि (वद) भवि 1/1 सक. जहा (अ) =प्रत्यक्ष उक्ति के प्रारम्भ करते समय प्रयुक्त से (त) 1/1 1. कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-137) 138 ] [ आचारांग

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199