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सूत्र-संख्या (ix) हिंसात्मक क्रियाओं में संलग्न होना फिर 29, 43, 23 भी अहिंसा का उपदेश देना :
तथा 25 (x) पार जाने में असमर्थता : (xi) असत्य में ठहरना :
37 (अंतिम पंक्ति) (xii) वैर की वृद्धि तथा वारम्बार जन्म : 45 तथा 53 (xiii) उत्थान में मूढ़ बनना :
91 (xiv) मूच्छित मनुष्य की स्थिति-संक्षेप में : 18 3. मूर्छा कैसे टूट सकती है ? (i) मृत्यु की अनिवार्यता का भान होने से
या शरीर की नश्वरता का भान होने 36,74, 85 से या जन्म-मरण के दुःख को अनुभव 82, 61
करने से : (ii) वुढ़ापे की स्थिति को समझने से : 27, 28 (क) आत्मीय-जन सहारे के लिए
पर्याप्त नहीं होते हैं : (ख) शक्ति क्षीण होने से पूर्व प्रात्म
हित करना : (iii) धन-वैभव की अस्थिरता का ज्ञान होने से : 37 (iv) कर्मों के फल भोगने का ज्ञान होने से : 94 (अन्तिम पंक्ति)
56, 79 (अन्तिम पंक्ति) (v) प्राणियों की पीड़ा को समझने से : 53, 69 (पांचवीं पंक्ति)
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(vi) द्रष्टा-भाव का अभ्यास करने से :
62, 23
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