Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 190
________________ 102 101 (ग) हिंसात्मक क्रियाएँ क्यों ? एवं कायिक 8 से 17 एवं 12 जीव की मनुष्य से तुलना (iv) वर्म की दो व्याख्याएँ : सूत्र संख्या (क) अहिंसामूलक 72 (ख) समतामूलक (सामाजिकपक्ष एवं 34, 88 एवं 90 वैयक्तिक पक्ष) (ग) धर्म कहां? (v) अहिंसा का चारों दिशाओं में प्रचार : (vi) प्राणियों का अस्तित्व : 21 (vii) हिंसा क्यों नहीं ? तर्क : (क) मनोवैज्ञानिक तर्क 23,36 (ख) सामाजिक तर्क 69 (अंतिम पंक्ति) (ग) दार्शनिक-आध्यात्मिक तर्क (viii) हिंसा से हानि 8,9,10,11,13,15 16 (अंतिम पंक्ति) 2. मूच्छित मनुष्य की अवस्था (i) मूच्छित व्यक्ति की स्थिति : 51, 98 (ii) इन्द्रिय-विषयों में आसक्त : 22,26,38,45,78 (ii) अर्हत् की आज्ञा से दूर : 22 (iv) इच्छाओं की तीव्रता : 43,81,98 (५) संग्रह में आसक्त : 74,35 (vi) अनेकचित्तो का होना : (vii) वस्तुओं के दोहरे स्वभाव को न समझना : 39 (viii) भय से ग्रसित होना 69,86 94 60 158 ] [ आचारांग

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