Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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महावीरे (महावीर ) 1 / 1 पडिसेवमारणो ( पडिसेव) वकृ 1 / 1 फरुसाई ( फरुस) 2 / 2 वि श्रचले (अचल) 1 / 1 वि भगवं ( भगवन्त --→ भगवन्तो भगवं ) 1/1 रोमित्या (री) 1 भू 3 / 1 सक
123 सूरो = योद्धा । संगामसीसे = संग्राम के मोर्चे पर । वा = जैसे । संबुडे ढका हुआ । तत्य== वहाँ से वे । महावीरे = महावीर । पडिसेवमाणो = सहते हुए। फरुसाई = कठोर को । श्रचले अस्थिरता - रहित । भगवं == भगवान् । रोयित्या - विहार करते थे ।
124 अवि (अ) =और साहिए (साहिय) 2/2 वि दुवे (दुव) 2/2 वि मासे " (मास) 2/2 छप्पि [(छ) + (अपि)] छ (छ) 2/2. अपि (अ) भी अदुवा (प्र) = श्रथवा अपिवित्था ( श्रपिव) भू 3 / 1 सक ओवरातं [ (रान) + (उवरातं ) ] [ (रान) - ( उवरात) 2/1] अपडoर्ण (पडिण ) 1 / 1 वि अण्णगिलायमेगता [ ( अण्ण) + (गिलायं) + ( एगता)] [(श्रण) - ( गिलाय ) 2 / 1] एगता (प्र) = कभी कभी भुजे (भुज) व 3 / 1 सक
-
124 अवि = श्रौर | साहिए = अधिक | दुवे दो । मासे = मास में । छप्पि ( ( छ + ग्रपि ) ] = छः, भी । मासे = मास तक । आपिवित्था: नहीं पीते थे । राम्रोवरातं = [ (राम) + ( उवरातं)]: | = रात में दिन को → दिन में 1 अपडणे = राग-द्वेषरहित । श्रवणगिलायमेगता =
?
1 ( अण्ण ) - ( गिलायं) + ( एगता ) ] भोजन, बासी को, कभी कभी । भुजे = खाता है → खाया |
1. अकारान्त धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त धातुओं में विकल्प से 'प्र' या 'य' जोड़ने के पश्चात् विभक्ति चिह्न जोड़ा जाता है ।
2 कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है । (हेम प्राकृत व्याकरण: 3-137) और समय वोधक शब्दों में सप्तमी होती है ।
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