Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 180
________________ 121 अप्पे (अप्प) 1/1 वि जणे (जण) 1/1 णिवारेति (णिवार) व 3/1 सक लूसणए (लूसणअ) 2/2 वि स्वार्थिक 'अ' सुणए (सुरण) 2/2 उसमाणे (डसमाण) 2/2 छुच्छ करेंति (छुच्छुकर) व 3/2 सक आहंसु (प्राह) भू 3/2 सक समण (समण) 2/1 फुक्कुरा (कुक्कुर) 2/2 दसंतुः (दस) विधि 3/2 अक त्ति (अ)= जिससे 121 अप्पे = कुछ । जणे = लोग । णिवारेति = दूर हटाते हैं-दूर हटाते थे। लूसणए हैरान करने वाले को । सुणए = कुत्तों को। डसमाणे= काटते हुए। छुच्छुकरति = छू-छू की आवाज करते हैं-छू-छू की आवाज करते थे। आहंस = बुला लेते थे । सम]= महावीर के (पीछे) । कुक्करा कुत्तों को । दसंतु= थक जाएँ। ति= जिससे । 122 हत-पुवो (हतपुव्व) 1/1 वि तत्थ (अ) = वहाँ डंडेण (डंड) 311 अदुवा (अ)= अथवा मुट्ठिणा (मुट्ठि) 3/1 अदु (अ) = अथवा फलेणं (फल) 3/1 लेलुणा (लेलु) 3/1 कवालेणं (कवाल) 3/1 हंता (अ) = आयो हंता (अ) =देखो वहवे (बहव) 2/2 वि दिसु (कंद) भू 3/2 सक 122 हतपुव्वो-पहले प्रहार किया गया । तत्थ = वहाँ । डंडेण = लाठी से । अदुवा=अथवा । मुट्टिणा-मुक्के से । अदुअथवा । फलेण= चाक, तलवार, भाला आदि से । अदु = अथवा। लेलुणा= ईंट, पत्थर आदि के टुकड़े से। कवालेण = ठीकरे से। हंता=आओ। हंता=देखो। वहवे= बहुतों को। कंदिसु = पुकारते थे। 123 सूरो (सूर) i/1 वि संगामसीसे [(संगाम)-)सीस) 7/1] वा (अ) = जैसे संवुडे (संवुड) भूकृ 1/1 अनि तत्थ (अ) वहाँ से (त) 1/1 सवि 1. 'पीछे के योग में द्वितीया होती है। 2. दस =Te become exhausted (Eng. Dictionary by Monier Williams, P. 473 Col. 1) तथा सम्मान प्रदर्शित करने में बहुवचन का प्रयोग हुआ है। 148 ] [ आचारांग

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