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व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ
1. सुयं (सुय) भूक 11 अनि मे (अम्ह) 3/1 स पाउसं (पाउस) 8/1
वि अनि तेणं (त) 3/1 स भगवया (भगवया) 3/1 अनि एवमक्खायं [(एवं) + (अक्खायं)] एवं (अ) = इस प्रकार. अक्खायं (अक्खाय) भूकृ 1/1 अनि इहमेगेसि [(इह) + (एगेसिं)] इहं (अ) = यहाँ. एगेसि (एग) 6/2 वि यो (अ) = नहीं सण्णा (सण्णा) 1/1 भवति (भव) व 3/1 अक तं जहा (अ) = जैसे
पुरथिमातो (पुरत्थिम-→पुरत्थिमा) 5/1 वि वा (अ) = या दिसातो (दिसा) 5/1 प्रागतो' (आगत) भूकृ 1/1 अनि अहमंसि [(अहं) + (अंसि)] अहं (अम्ह) 1/1 स. अंसि (अस) व 1/1 अक
स्त्री दाहिणाओ (दाहिण-→दाहिणा 5/1 वि पच्चत्थिमातो स्त्री
स्त्री (पच्चत्थिम- →पच्चत्थिमा) 5/1 वि उत्तरातो (उत्तर-→उत्तरा)
स्त्री 5/1 वि उड्ढातो (उड्ढ - उड्ढा) 5/1 वि अधे (अ) = नीचे की
तर प्रत्यय स्त्री अन्नतरीतो (अन्न---→ अन्नतर-- अन्नतरी) 5/2 वि दिसातो (दिसा) 5/2 अरणदिसातो अणुदिसा) 5/2। 1. कभी कभी पष्ठी विभक्ति का प्रयोग सप्तमी विभक्ति के स्थान
पर होता है (हैम प्राकृत व्याकरणः 3-134) 2. 'गति' अर्थ में भूतकालिक कृदन्त कर्तृवाच्य में भी होता है । 3. निर्धारण अर्थ में 'तर' प्रत्यय होता है (अभिनव प्राकृत व्याकरण
पृष्ठ 429) 78 ]
[ आचारांग