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JE बजारमें जवेरीकी दुकानमें हीरा पन्नामाणिक आदि मिल शकते है लेकिन जवेरातकी दुकान कोइ विरलीही होती
है तैसेंही सर्व पहाडोकी अंदर सुवर्णकी खान नहीं होती तैसेंही सिंहनके टोले नही फिरते तैसेही सिंहके संगमें अध्यात्म
De|जीतसंग्रह विचार गीदड नही रह सकते ऐसे साधुसन्त कोई विरलेही मिलेगें ॥१॥ ॥२६॥
गाथा-मुनिमुनि सबही कहै । मुनि विरला संसार ॥ अनल पंखी कोइ एक है । दूजा कोटि हजार ॥१॥
भावार्थ:-सय दुनियों में मेरे जैसे वेषधारियों कहते है कि हम साधु है और सब दुनियां भी उन्होंको साधु JE यति कहते हैं कि यह मुनिराज तरणतारण संसारमें जहाजके समान सद्गुरु है और यही हमारा गुरु है ऐसें कोई
दृष्टिरागी अकलके बाहादर वणिये कहते हैं लेकिन इस कलिकालमें साधु मुनि कोइ विरलेही मिलेगे जैसे अनल पक्षी कोई विरलेही होते हैं और पक्षियों क्रोडोंही होते हैं. गाथा-जैसी कथनी मुखसे कथे । तैसें चले न कोई ॥ श्वान ज्यु भुसते फिरे । देखलो जग सोइ ॥१॥
काणीकथनी छोडदे । आत्मसे चितलाय ॥ मुग्वमें पैडा बालतां । भूख कबू नहि जाय ॥२॥ कहतें सुनते मर गये । श्रोक्तावक्ता संसार ॥ कथनी काची जगतमें । रहनी अमृतधार ॥३॥ कथनी कछे कर ज्यु । रहनीका घर दूर ॥ कथनो कथ रहनी रहे । वही सन्त भरपूर ॥४॥ कुकर्मतो छांडै नही । ज्ञान कथे अनेक ।। संत कहै उन वक्ताको । ज्ञान नही कोडी एक ॥५॥ एरणकी चोरी करे । करै सूयीरो दान ॥ वे उंचे चढ २ देखते । केतिक दूरविमान ॥६॥
Saveena
THEDULE
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