Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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एवं से इत्यादि । एवं
अहेगे इत्यादि । प्रथ
अप्पलीय इत्यादि कामेषु
सव्वं इत्यादि । सर्वां
एस इत्यादि । एष
अइयच्च इत्यादि । प्रतिगत्य
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महं ( प ) त्योस्यादि । न मम
जयमाणे इत्यादि । अत्र
सव इत्यादि । सर्वतः
जो इत्यादि । यः श्रचेल:
पलियं इत्यादि । पलियं ति
इयादि । तथ्य
एपरे इत्यादि एकतरान्
जे इत्यादि । ये च
चेच्चा इत्यादि । त्यक्त्वा
एए भो इत्यादि । भोः इत्या
प्रारणाए इत्यादि । श्रा श्र ज्ञाप्यते
एस इत्यादि । एष:
एत्योबरए इत्यादि । अत्र
माया इत्यादि सादीयत
इमेसि इत्यादि हरिमन् तत्थियरा इत्यादि । तत्र
से मेहावी इत्यादि स मेघावी
भिइत्यादि स प्राहार
अदुवा इत्यादि । अथवा
एयं खु मुरगी इत्यादि । एतत् जे चेले इत्यादि । अल्पार्थे लाघवं इत्यादि । लघोर्भावो तवे इत्यादि । से तस्यो
जहेयं इत्यादि । यथा
एवमित्यादि एवम्
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श्रागय इत्यादि । आगतम्
268 पयए इत्यादि प्रतनुके
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इति । इति ब्रवीमिशब्दो
विरयं इत्यादि । विरत
संमासे इत्यादि
जहां से इत्यादि हिता
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ते इत्यादि । ते साधवो
एवं इत्यादि । एवम्
जहा से इत्यादि । द्विजः
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एवं इत्यादि । यथा
एवं ते सिस्सा इत्यादि । एवम्
बसिसा इत्यादि एके
आघायण्णू (यं तु) । तुः अवधारणे
समरगुन्ना इत्यादि । समनोज्ञा
सीलमंता इत्यादि । शीलम्
नियट्टमाणा इत्यादि। एके कम्मों
गममाणा इत्यादि । नमन्तो
पुट्ठावेगे इत्यादि । एके
निक्खतं पि इत्यादि । तेषां
बाल इत्यादि । हुर्हेती
पुणो इत्यादि । पौनः
अहे इत्यादि । अधः
उदासी इत्यादि । उदासीना:
पलियं इत्यादि पनियंति
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तं इत्यादि । तद्
मम्मीत्यादि -
किम इत्यादि। केचन
पूर्वमुत्पतितान् । संयमारोह
मे इत्यादि प्रथ
से समरण इत्यादि । सोऽयं
37 अणुवीद भिक्खु इत्यादि यावत् भवति सरण महायुरिति । स भिक्षुर्मुगुलु
एवं इत्यादि । एवमिति
से गिहेसु वा इत्यादि जाव
धीरो अहियासए त्ति । स पण्डितो
से उट्ठिएसु वा इत्यादि । स आगम
संति इत्यादि वावत् भिक्खु धम्ममा इक्खेज्ज
त्ति । शमनं
संखाय इत्यादि । संख्याय
तम्हा इत्यादि इतिहॅती
गंथेहिं इत्यादि । त एवं
तम्हा इत्यादि । यस्मात्का
जस्सिमे इत्यादि । यस्य
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