Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 660
________________ P. 161 161 161 161 161 161 161 161 161 161 161 161 162 162 162 162 L. Jain Education International 5 16 19 21 20 21 22 23 25 26 31 14 6 7 16 18 162 20 162 22 162 23 162 24 162 25 162 27 162 28 162 29 162 30 163 8 163 12 163 33 163 36 163 38 164 11 164 164 164 165 165 165 एवं से इत्यादि । एवं अहेगे इत्यादि । प्रथ अप्पलीय इत्यादि कामेषु सव्वं इत्यादि । सर्वां एस इत्यादि । एष अइयच्च इत्यादि । प्रतिगत्य 5 11 15 महं ( प ) त्योस्यादि । न मम जयमाणे इत्यादि । अत्र सव इत्यादि । सर्वतः जो इत्यादि । यः श्रचेल: पलियं इत्यादि । पलियं ति इयादि । तथ्य एपरे इत्यादि एकतरान् जे इत्यादि । ये च चेच्चा इत्यादि । त्यक्त्वा एए भो इत्यादि । भोः इत्या प्रारणाए इत्यादि । श्रा श्र ज्ञाप्यते एस इत्यादि । एष: एत्योबरए इत्यादि । अत्र माया इत्यादि सादीयत इमेसि इत्यादि हरिमन् तत्थियरा इत्यादि । तत्र से मेहावी इत्यादि स मेघावी भिइत्यादि स प्राहार अदुवा इत्यादि । अथवा एयं खु मुरगी इत्यादि । एतत् जे चेले इत्यादि । अल्पार्थे लाघवं इत्यादि । लघोर्भावो तवे इत्यादि । से तस्यो जहेयं इत्यादि । यथा एवमित्यादि एवम् 22 श्रागय इत्यादि । आगतम् 268 पयए इत्यादि प्रतनुके 37 इति । इति ब्रवीमिशब्दो विरयं इत्यादि । विरत संमासे इत्यादि जहां से इत्यादि हिता (297) P. 165 165 165 166 166 167 167 167 167 167 168 168 168 168 168 168 168 168 168 168 169 169 169 169 170 171 171 171 172 172 172 172 172 172 L. 31 36 38 14 25 7 12 15 27 37 -8 9 11 12 14 14 17 19 21 27 6 17 13 28 8 15 18 13 19 21 23 24 27 ते इत्यादि । ते साधवो एवं इत्यादि । एवम् जहा से इत्यादि । द्विजः For Private & Personal Use Only एवं इत्यादि । यथा एवं ते सिस्सा इत्यादि । एवम् बसिसा इत्यादि एके आघायण्णू (यं तु) । तुः अवधारणे समरगुन्ना इत्यादि । समनोज्ञा सीलमंता इत्यादि । शीलम् नियट्टमाणा इत्यादि। एके कम्मों गममाणा इत्यादि । नमन्तो पुट्ठावेगे इत्यादि । एके निक्खतं पि इत्यादि । तेषां बाल इत्यादि । हुर्हेती पुणो इत्यादि । पौनः अहे इत्यादि । अधः उदासी इत्यादि । उदासीना: पलियं इत्यादि पनियंति 1 तं इत्यादि । तद् मम्मीत्यादि - किम इत्यादि। केचन पूर्वमुत्पतितान् । संयमारोह मे इत्यादि प्रथ से समरण इत्यादि । सोऽयं 37 अणुवीद भिक्खु इत्यादि यावत् भवति सरण महायुरिति । स भिक्षुर्मुगुलु एवं इत्यादि । एवमिति से गिहेसु वा इत्यादि जाव धीरो अहियासए त्ति । स पण्डितो से उट्ठिएसु वा इत्यादि । स आगम संति इत्यादि वावत् भिक्खु धम्ममा इक्खेज्ज त्ति । शमनं संखाय इत्यादि । संख्याय तम्हा इत्यादि इतिहॅती गंथेहिं इत्यादि । त एवं तम्हा इत्यादि । यस्मात्का जस्सिमे इत्यादि । यस्य www.jainelibrary.org

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